April 18, 2025

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति की अवधि ही सौर मास है। बारह राशियों पर आधारित बारह सूर्य संक्रांति हैं, जिनमें चार संक्रांति ही महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति हैं।

मकर संक्रान्ति…

मकर संक्रान्ति भारत सहित विश्व के अनन्य देशों का भी प्रमुख पर्व है। इसे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्रप्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। १४ जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर होता है। इसी लिऐ उतरायण भी कहते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि पृथ्वी का झुकाव हर छः छः माह में उत्तर और दक्षिण की ओर बदलता रहता है, जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।

विभिन्न नाम…

१. भारत में…

क) मकर संक्रान्ति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू

ख) ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : तमिलनाडु

ग) उत्तरायण : गुजरात और उत्तराखण्ड

घ) उत्तरैन, माघी संगरांद : जम्मू

ड.) शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी

च) माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब

छ) भोगाली बिहु : असम

ज) खिचड़ी : उत्तरप्रदेश और बिहार

झ) पौष संक्रान्ति : पश्चिम बंगाल

यां) मकर संक्रमण : कर्नाटक 

२. भारत के बाहर…

बांग्लादेश : पौष संक्रान्ति

नेपाल : माघे संक्रान्ति या ‘माघी संक्रान्ति’ ‘खिचड़ी संक्रान्ति’

थाईलैण्ड : सोंगकरन

लाओस : पिमा लाओ

म्यांमार : थिंयान

कम्बोडिया : मोहा संगक्रान

श्रीलंका : पोंगल, उझवर तिरुनल

महत्व…

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।

स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। हमारे पवित्र वेद, भागवत गीता जी तथा पूर्ण परमात्मा का संविधान यह कहता है कि यदि हम पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करें तो वह इस धरती को स्वर्ग बना देगा और आप जी की और इच्छा को पूरा करें।

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