November 25, 2024

 

शादी वाली बात है,
अजी हमारी शादी वाली बात है।

सिमटी हुई सी,
सिकुड़ी हुई सी।
शरमाई थी या घबड़ाई थी,
जब सामने मेरे वो आई थी।

जान पड़ा मानो परीयो के देश से,
कोई परी उतर के आई थी।

सुर्ख लाल जोड़े में थी वो,
माथे पे लाल बिंदिया थी उसके।
होठों की लाली चमके
हाथों में लाल चूडिय़ाँ थी उसके।

हथेली पे मेहँदि भी लाल,
गोरे मुखड़े पर लाली छाई थी
हर तरफ खुशियां ही खुशियां,
जब बज रही शहनाई थी।

सखियों ने गीत गाये,
ब्राह्मणों ने मंत्र गान किया।
मैं दूल्हा बने खड़ा था,
जब वो दुल्हन बन के आई थी।

जैसे ही सुंदर बेला आई,
विहंग ने फूल बरसाया।
लाल सिंदूर से मांग भरकर हमने,
परी को अपनी दुल्हन बनाया।

अश्विनी राय ‘अरुण’

About Author

Leave a Reply