December 18, 2024

 

जी हां! मैंने देखा,
उसे अपनी दूरबीन से
मुझे उसमें एक निश्चल और
पवित्र आत्मा नजर आई।

 

देखा उसमें स्थिरता, नम्रता
और चमकदार चरित्र को,
प्यारे प्रभाव को भी देखा
करते इंतजार को भी देखा।

 

वो नंगे पांव सागर किनारे
रेत पर मगन घूम रही थी,
मेरी दूरबीन ना जाने कैसे
उस पर आकर ठहर गई।

 

नजर का धोखा ही कहिए
दिखती घास के मैदान पर,
तो कभी मुझे लगता कि
वो है श्वेत आसमान पर।

 

उसकी अद्भुत छवि देख
सच में मैं मोहित हो गया,
ये दूरबीन क्या हाथ लगी
मैं खुद से अलग हो गया।

 

वो इतनी मासूम थी, लगा कि
दुनिया की चालाकी से दूर थी,
दूरबीन आंखों से क्या हटी
वो इस जहां से ही काफूर थी।

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