न्यौता आ गया…
वक्त की परिभाषा वक्त के सिवा ना तो कोई दे सकता है और ना कोई समझ सकता है। जब हम सोचते हैं अब वक्त हमारा है और तभी शनि की वक्र दृष्टि हम पर पड़ती है और सब कुछ सुनामी में बह समाप्त…
यहीं हमसे फिर एक बार समय को समझने की भूल होती है, वह सुनामी हमारे क्लिष्ट विचारों और भावनाओं को बहा ले जाता है ना की उच्च विचारों को…और यहीं से हमारा पुनर्जन्म होता है…शुद्ध ! स्वच्छ मन।
आलौकिक, अद्वितीय और श्रेष्ठ चरित्र का मानव मन लिए हम आसमान की ऊंचाई को छूने निकल पड़ते हैं…
“ऐसा ही एक समय आज है, अभी है ! ”
अश्विनी ‘अरुण’ !