December 2, 2024

आजाद
पण्डितजी
बलराज
Quick Silver
पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी

ये नाम हैं उस आजादी के सिपाही के, जो हिदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन-का प्रमुख सेनापति था ।

गाँधीजी के द्वारा चलाये जा रहे असहयोग आन्दोलन के बन्द हो जाने के कारण “आजाद” के विचारधारा में बदलाव आया और वह क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन का सक्रिय सदस्य बन गया। इस संस्था के माध्यम से वह राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गया। इसके पश्चात् सन् १९२७ में ‘बिस्मिल’ के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उसने उत्तर भारत के सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।

अब तो आपने जरुर पहचाना होगा,
हम किसकी बात कर रहे हैं ।
सही पहचाना ….

हम बात कर रहे हैं , देश के महान सपूत
श्री चंद्रशेखर आजाद की ।

जिनका जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला) में २३ जुलाई, १९०६ को हुआ था।

२३ जुलाई क़ो जन्मे “आजाद” कहा करते थे ,
“हमारी लड़ाई आखिरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत।”

फैसला हो गया….
मगर कई सवाल छोड़ गया है, मौत तो उन्होने स्वयं चुनी थी …मगर जीत किस मूल्य पर ? ?
जो नायक थे ..और नेतृत्व भी कर सकते थे उन्हें खो कर
या उन्हे नेतृत्व देकर जो आजादी के पहले भी शासन औऱ कुर्सी पर अपरोक्ष रूप से थे ।

हाय रे विडम्बना ….
तेरी ही सदा जय होती रही है ।

मगर आज नहीं …
आज भी ,
कल भी ,
जय सदा “आजाद”की

पंडित जी आप की सदा जय हो !

About Author

Leave a Reply