चेप्पूदिरा मुथाना पुनाचा का जन्म १६ जून, १९१० को कर्नाटक के दक्षिण कुर्ग में उगूर में हुआ था। उनकी शिक्षा कुर्ग के मरकरा विराजपेट तथा सेंट अलायसिस कॉलेज, मंगलौर से हुई थी। अपने विद्यार्थी जीवन में ही सी.एम. पुनाचा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में रुचि लेने लगे थे, जिस कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई और वर्ष १९३० में स्वतंत्रता आंदोलन यज्ञ कुंड में अंतिम आहूति के लिए शामिल हो गये। वर्ष १९३२ तथा १९३३ में उन्हें दो बार कारावास की सज़ा मिली। इसके बाद १९४०-१९४१ में व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें फिर से कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। सी.एम.पुनाचा वर्ष १९४२-१९४४ तक भारत छोड़ो आन्दोलन में नजरबंद रहे।
राजनीतिक सक्रियता…
वर्ष १९३५ में सी.एम.पुनाचा कुर्ग ज़िला कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी रहे। १९३८ में प्रान्तीय कमेटी की कार्यकारिणी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा कुर्ग ज़िला बोर्ड के लिए निर्वाचित हुए तथा १९४१ में इसके अध्यक्ष भी रहे। सी. एम.पुनाचा वर्ष १९४५ से वर्ष १९५१ तक कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे। वे १९४७ से १९५१ तक संविधान सभा के सदस्य तथा अस्थायी संसद के सदस्य भी रहे।
आज़ादी के उपरांत सी.एम.पुनाचा वर्ष १९५२ से १९५६ तक कुर्ग के मुख्यमंत्री रहे जब तक की नया राज्य मैसूर निर्मित ना हो गया, जहाँ वे वर्ष १९५६ में उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री तथा बाद में गृह कार्य तथा उद्योग मंत्री रहे। वर्ष १९५९ से १९६३ तक भारतीय व्यापार निगम के जब सभापति थे, तब इस बीच उन्हें पूर्व यूरोप के कुछ देशों में भारत सरकार के व्यापार प्रतिनिधि मंडल के नेता के रूप में जाने का उन्हें मौका मिला तथा वर्ष १९६१ में जापान जाने वाले राज्य व्यापार निगम के प्रतिनिधि मंडल के नेता भी रहे। उन्होंने चेकोस्लोवाकिया, रूमानिया, हंगरी तथा यूगोस्वालिया आदि की भी यात्राएं की थीं। वर्ष १९६४ में सी. एम. पुनाचा राज्य सभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा १ से लेकर २४ जनवरी, १९६६ तक वे वित्त मंत्रालय तथा १३ मार्च, १९६७ से १९६९ तक रेलवे मंत्री रहे।
सी.एम.पुनाचा उड़ीसा तथा मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे। उन्होंने १७ अगस्त, १९७८ से २९ अप्रैल, १९८० तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी उन्होने अपनी सेवाएँ दी थीं।
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इनके आदर्शवादी विचार हमारे देश के वजूद को जिंदा रखता है।
बहुत – बहुत नमन और आभार व्यक्त करतीहूॅऺ।