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श्रीमद्भगवद्गीता तात्पर्य अथवा जीवन धर्मयोग के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार (कन्नड़) से सम्मानित देवनहल्ली वेंकटरमना गुंडप्पा का जन्म १७ मार्च, १८८७ को मूलबगाल, कोलर मैसूर स्टेट, ब्रिटिश इंडिया में हुआ था।

डीवीजी एक महान कन्नड साहित्यकार एवं दार्शनिक थे, मगर कर्नाटक से बाहर उन्हें अधिक प्रसिद्धि नहीं मिल सकी। अपने लेखन के द्वारा उन्होंने राजनीतिक सुधार और सामाजिक जागृति के लिए लगभग ५० वर्षों तक काम किया। उनके लेखन में गीत, कविताएं, नाटक, राजनीतिक कार्य, जीवनियाँ और भगवतगीता पर टीका भी शामिल हैं। वे पूरी तरह से आदर्श लोकतंत्र के समर्थक थे अनुशासन पर बहुत जोर देते थ। वे सदा कहा करते, ‘अनुशासनहीनता लोकतंत्र की दुश्मन है।’ कालांतर में उन्हें कर्नाटक सरकार ने पेंशन देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने इसे यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि इससे जनता के बीच अपने विचार की स्वतंत्रता पर बाध्यता बन जाएगी।

डीवीजी के समग्र साहित्य के कुछ अंश

काव्य…
निवेदन
उमरन ओसेगे
मंकुतिम्मन कग्ग – भाग १
मरुळ मुनियन कग्ग – भाग २
श्रीराम परीक्षणं
अन्तः पुरगीते
गीत शाकुंतला

निबंध…
जीवन सौंदर्य मत्तु साहित्य
साहित्य शक्ति
संस्कृति
बालिगोन्दु नंबिके

नाटक…
विद्यारण्य विजय
जाक् केड्
म्याक् बेथ्

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