महाभारत में कितने ऐसे पात्र थे जिनके बारे में आज भी चर्चा होती है मगर महाभारत में एक ऐसा भी पात्र था जो अमूर्त था, सिर्फ उसकी अवाज़ ही सुनाई देती थी वह किरदार कभी सामने नहीं आया। इस पात्र का नाम था ‘समय’। आज हम उसी गूंजती ‘मैं समय हूं’ की आवाज के बारे में चर्चा करने वाले हैं…
मैं समय हूं…
एक सूत्रधार की तरह महाभारत की हर कड़ी को आगे बढ़ाने वाली इस आवाज के पीछे जो शख्स था उनका नाम हरीश भिमानी है। इस आवाज को गढ़े जाने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। इस बारे में स्वयं खुलासा करते हुए हरीश भिमानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जिस वक्त महाभारत बनाया जा रहा था उस वक्त उन्हें गूफी पेंटल का फोन आया। गूफी पेंटल यानी महाभारत का शकुनी ने हरीश को मिलने के लिए बुलाया। जब हरीश मिलने पहुंचे तो उनकी मुलाकात बीआर चोपड़ा से हुई। उनके साथ लेखक राही मासूम रजा जी भी मौजूद थे।
हरीश ने जब उनसे काम के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने बारे में बताने और एक छोटी सी कमेंट्री का वाइस ओवर टेस्ट देने के लिए कहा। हरीश ने बोलना शुरू किया। उन्हेंने जब ‘मैं समय हूं’ कहा। तब उनकी आवाज की पिच से राही साहब ज्यादा खुश नहीं थे। उन्होंने फिर हरीश को जाने के लिए कह दिया। कुछ दिन के बाद हरीश को फिर से गूफी पेंटल का फोन आया और उन्होंने फिर से मिलने की बात कही। जब हरीश मुलाकता करने पहुंचे तो उनके सामने फिर से वही लोग और वही स्क्रिप्ट थी। हरीश ने फिर से कोशिश की और इस बार थोड़ी भारी आवाज में बोलना शुरू किया। हरीश बोल रहे थे तभी उनके पीछे से राही साहब आए और कहा कि उन्हें यही पिच पकड़ के रखना पड़ेगा और आगे की बात बोलनी पड़ेगी। हरीश भिमानी उस वक्त यंग थे और उन्हें इस तहर की कमेंट्री थोड़ी गुजरे जमाने की लग रही थी और किसी टीवी सीरियल के सूत्राधार के मुताबिक कतई सही नहीं लग रही थी। मगर राही मासूम रजा जी के कहने पर उन्होंने अपनी उसी पिच में महाभारत के लिए ‘समय’ के रूप में पूरे महाभारत के सूत्रधार बन कर एक अमूर्त किरदार को निभाया। इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है।
परिचय…
हरीश भिमानी जी का जन्म १५ फरवरी, १९४६ को मुम्बई में हुआ। परंतु उनका पैतृक स्थान राजस्थान के जैसलमेर है, वहां से उनके पूर्वज ने गुजरात के मांडवी और फिर कोलकाता को निवास बनाया। हरीश भिमानी अपने माता पिता के पांच संतानों में चौथी संतान है। उन्होंने भद्र न्यू हाई स्कूल, हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल, एलफिन्स्टन कॉलेज, मुंबई; लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर में अध्ययन किया और प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बॉम्बे विश्वविद्यालय से एमबीए किया। हरीश भिमानी अपनी ‘वोईस आर्टिस्ट’ पत्नी रेखा के साथ मुंबई में रहते हैं। उनकी दो बेटियाँ हैं- अदिति भोसले तथा रूचि भिमानी, जो कि फीचर फिल्म तथा वृत्तचित्र निर्माता हैं।
कार्य…
हरीश भिमानी ने भारतीय टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ (बी. आर. चोपड़ा कृत) में सूत्रधार ‘समय’ को आवाज दी और देश में सर्वाधिक पहचाने जाने वाली आवाज बन गए। उन्हें २२००० से अधिक रेकोर्डिंग का अनुभव है। वर्ष १९८० के दशक के बाद से उन्होंने अग्रणी सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों की मेजबानी के अलावा कई वृत्तचित्रों, कॉर्पोरेट फिल्मों, फीचर फिल्मों, टीवी और रेडियो विज्ञापनों, खेल, संगीत एल्बमों में अपनी आवाज दी। मीडिया ने हरीश भीमनी को भारत के सबसे मान्यता प्राप्त आवाज़ों में से एक और ए राइटर विद ए ज़िंग के रूप में वर्णित किया है।
साथ ही वे एक लेखक, प्रस्तोता, आवाज़ के कलाकार, समाचार वाचक, दस्तावेजी सिनेमा व कॉर्पोरेट फिल्मों के निर्माता भी हैं। उन्हें ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’- २०१६ में वोईस ओवर/नेरेशन श्रेणी में ‘राष्ट्रपति पदक’ प्रदान किया गया। अपने कॅरियर में हरीश भिमानी ने तमाम टीवी धारावाहिक, फ़िल्में, रंगमंच कार्यक्रम, रेडियो, खेल, एंकरिंग समेत कई जगह अपनी अवाज का जादू बिखेरा।