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मनमोहन कृष्ण जी का जन्म २६ फरवरी,१९२२ को लाहौर, पंजाब में हुआ था। मनमोहन जी एक लोकप्रिय भारतीय फिल्म अभिनेता और निर्देशक थे, जिन्होंने चार दशकों तक हिंदी फिल्मों में काम किया, जो ज्यादातर एक चरित्र अभिनेता के रूप में ही थे।

उन्होंने भौतिक शास्त्र से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद भौतिकी प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत थी। उन्होने गायन प्रतियोगिता कैडबरी के फुलवारी नामक एक रेडियो प्रोग्राम में एंकरिंग भी किया था। कितने लोग तो यह भी नहीं जानते हैं कि मनमोहन जी ने फिल्म में गाना भी गया था, उन्होने अपना पहला गाना देव आनंद अभिनीत अफसर में ‘झट खोल दे’ गाया था, जो एस.डी.बर्मन जी की फिल्म थी। वे चोपड़ा बंधुओं के पसंदीदा कलाकार थे और उनके द्वारा निर्देशित अथवा निर्मित अधिकतर फिल्मों में छोटी बड़ी भूमिका में दिखते ही थे। जैसे ; देवर, त्रिशूल, दाग, हमराज़, जोशीला, कानून, काला पत्थर, धूल के फूल, वक़्त और नया डोर इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

उन्होंने लगभग २५० फिल्मों में काम किया, विशेष रूप से नाया दौर, खानदान, साधना, वक़्त और हमराज़। १९६२ में हेमंत कुमार निर्मित फिल्म बीस साल बाद आई जिसमे उनके काम को जबरदस्त सराहना मिली। धूल के फूल में अब्दुल रशीद की भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।

तु हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इन्सान की औलाद है, इन्सान बनेगा यह चर्चित गाना उनपर ही फिल्माया गया था। इसके अलावा, उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया था। के.ए.अब्बास की शहर और सपना में एक महत्वपूर्ण भूमिका उन्होने निभाई थी। जिसे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। पहली इंडो-सोवियत सह-निर्माण फिल्म ‘परदेसी’ में भी उन्होने अभिनय किया, जिसे कान फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन पाम के लिए नामांकित किया गया था।

कालांतर में यश राज फिल्म्स के लिए उन्होने नूरी जैसी हिट फिल्म का निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड के सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में नामांकित भी किया गया था।

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