April 10, 2025

आज हम अपने इस आलेख में एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करने जा रहे हैं जो गांव की माटी में जन्मा और आसमान की बुलंदियों पर जा बैठा मगर वह आज भी अपनी माटी से वैसे ही जुड़ा है जैसे बरगद जुड़ा रहता है।

यह कहानी है उस व्यक्ति की जिसने प्रशासनिक गलियारों में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया, जिसने राजनीति को इतने नजदीक से देखा कि राजनीति का हर पुरोधा उन्हें अपने साथ जोड़ने खातिर होड़ में लग गए। यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी भी उनकी आभा मंडल के आगे नतमस्तक हो गए।

ऐसी ही अनेक बातें हैं जिसे हम यहां विस्तार से चर्चा करेंगे…

वर्ष २०१४ की बात है, केंद्र में भारी बहुमत से जब भाजपा की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पूर्व ही श्री नरेंद्र मोदी जी अपनी सरकार चलाने के लिए ‘नवरत्नों’ की तलाश मे जुट गए थे। जानकारों की मानें तो वे अपने प्रुमख सचिव पद के लिए उन्हें ऐसा काबिल अफसर की तालाश थी, जो केंद्र में काम कर चुका हो, साथ ही उसके दामन पर कोई दाग भी ना हो। साथ ही मोदी जी यह भी चाहते थे कि उस अफसर को उत्तरप्रदेश के राजनीति की भी जानकारी हो।इतना ही नहीं उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लिए भी कुछ बड़ा करना था अतः खोज शुरू हुई।

मोदी जी की यह खोज काफी लंबा चला मगर अंततः उनकी खोज वर्ष १९६७ बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई। नृपेंद्र मिश्रा जी उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य के दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ पहले ही काम कर चुके थे, सुर्खियों से दूर रहने वाले नृपेंद्र मिश्रा मोदी जी के कठिन पैमाने पर एकदम सटीक बैठे। और फिर वे वर्ष २०१४ में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव बन गए। इतना ही नहीं वे २०१४ के कार्यकाल में अपने कार्यों से प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे और फिर से प्रधानमंत्री के दोबारा प्रमुख सचिव बन गए।

परिचय…

नृपेंद्र मिश्रा जी का जन्म ८ मार्च, १९४५ को उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला अंतर्गत कसिली गांव निवासी सिवेशचंद्र मिश्रा के बड़े बेटे के रूप में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा के उपरांत उन्होंने तीन-तीन विषयों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने रसायन विज्ञान, राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन विषय से पोस्ट ग्रेजुएट किया। तत्पश्चात उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की। लोक प्रशासन विषय से उन्होंने जॉन एफ केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री ली। फिर वर्ष १९६७ में यूपी काडर के आईएएस बने।

कार्य…

देश के शीर्ष स्तर के नौकरशाह के रूप में नृपेंद्र मिश्रा का लंबा और असाधारण कॅरियर रहा है। देश के नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनको एक सक्षम और व्यवसाय समर्थक प्रशासक होने का श्रेय जाता है। वह दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्राडबैंड नीति का श्रेय जाता है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह सरकार में नृपेंद्र मिश्रा प्रमुख सचिव रह चुके हैं। इस बड़े राज्य में काम करते हुए उन्होंने तेज तर्रार और ईमानदार अफसर की पहचान बनाई। जिसके इनाम के तौर पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में काम करने का मौका मिला। केंद्र में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया। दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्राडबैंड नीति का श्रेय जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स में भी २००२ से २००४ के बीच सचिव रहे। रिटायर होने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार में नृपेंद्र मिश्रा २००६ से २००९ के बीच टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के भी चेयरमैन रहे। साल २०१४ में बीजेपी की अगुवाई वाली ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ (राजग) सरकार के सत्ता में आने के बाद नृपेंद्र मिश्रा को मोदी टीम में शामिल किया गया था। वह राजग के २०१९ में और भी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में लौटने के बाद भी मोदी की प्रमुख टीम में बने रहे। उसके बाद उन्हें नए बनाए गए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर या दिल्ली के उप-राज्यपाल बनाने की अटकलें भी सामने आई थी। नृपेंद्र मिश्रा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी पीएम मोदी के प्रमुख सचिव बनाए गए थे। हालांकि उस समय उनकी नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। विपक्ष का तर्क था कि ट्राई के नियमों के मुताबिक़ इसका अध्यक्ष रिटायर होने के बाद सरकार से जुड़े किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, चाहे वह केंद्र की सरकार हो या राज्य की। हालांकि मोदी सरकार ने इस नियम को अध्यादेश लाकर संशोधित कर दिया था, जिसके बाद नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति की राह आसान हो गई थी। बड़े थिंक टैंक्स से जुड़ाव ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन से जुड़े। दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित दफ्तर में वह कुछ रिसर्च स्कॉलर्स के साथ काम करते थे। यह फाउंडेशन समाज में हाशिए पर पहुंचे लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक थिंकटैंक के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है। कुछ समय तक वह मशहूर थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में भी प्रमुख पद पर रहे थे।

विदेश में कार्य…

नृपेंद्र मिश्रा ने विदेश में भी काम करने का अनुभव हासिल किया है। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में स्पेशल सेक्रेटरी के तौर पर काम करते हुए देश से जुड़े मामलों में मजबूती से पक्ष रखा। इसके अलावा वह मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे। इसके अलावा वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, नेपाल सरकार में सलाहकार के रूप में भी उन्होंने काम किया हुआ है।

खास बात…

रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा जी २००६ से २००९ के बीच ट्राई के चेयरमैन पद पर रहे थे। नियम के मुताबिक ट्राई का चेयरमैन आगे चलकर केंद्र या राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं कर सकता था। यह नियम जब नृपेंद्र मिश्रा जी की राह में रोड़ा बना तो मोदी सरकार ने ट्राई एक्ट में अध्यादेश के जरिए संशोधन कर उनके प्रमुख सचिव बनने का रास्ता साफ कर दिया। यह कदम भी पीएम मोदी का उनके प्रति भरोसे का सबूत माना जा सकता है।

आज के दिन श्री मिश्रा जी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं।

About Author

Leave a Reply

RocketplayRocketplay casinoCasibom GirişJojobet GirişCasibom Giriş GüncelCasibom Giriş AdresiCandySpinzDafabet AppJeetwinRedbet SverigeViggoslotsCrazyBuzzer casinoCasibomJettbetKmsauto DownloadKmspico ActivatorSweet BonanzaCrazy TimeCrazy Time AppPlinko AppSugar rush