November 22, 2024

आज हम बात करने वाले हैं एक विख्यात कैंसर सर्जन के बारे में, जो कालांतर में देश के शीर्ष हिन्दू नेताओं में गिने जाने लगे और एक समय ऐसा आया कि वे विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

परिचय…

अपने भड़काऊ भाषणों के लिए प्रसिद्ध प्रवीण तोगड़िया का जन्म १२ दिसंबर, १९५६ को गुजरात में अमरेली जिले के साजन टिंबा गांव में हुआ था। वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। गांव में पढ़ाई की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण उन्हें अहमदाबाद जाना हुआ। वे कुशाग्र बुद्धि के थे। एमबीबीएस और एमएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद तकरीबन १४ वर्षों तक प्रैक्टिस की और फिर अहमदाबाद में धनवंतरि हॉस्पीटल के नाम से एक अस्पताल भी शुरू किया।

सामाजिक जीवन…

श्री तोगड़िया दस वर्ष की उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और वर्ष १९७९ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों का मुख्य मार्गदर्शक, मात्र २२ वर्ष की आयु में चुन लिए गए। उनके व्याख्यान इतने सटीक हुआ करते थे कि हिंदुत्व के हर एक जानकार उनकी बात एकटक उन्हें देखते हुए सुना करते थे। व्याख्या करते समय वे इतने सुंदर तरीके उदहारण प्रस्तुत करते थे कि उनकी बातों को काटना लगभग मुश्किल होता था। ऐसा कहा जाता है कि बचपन में एक बार उन्हें सोमनाथ मंदिर में जाने का अवसर मिला। जब उन्होंने सोमनाथ के ध्वस्त अवशेष देखे तो उनके जीवन की दिशा ही बदल गई और वे हिन्दुत्व के पुनरुद्दार में लग गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वे और नरेन्द्र मोदी एक दूसरे के सहयोगी थे।

बिचाराधारा…

वर्ष १९८३ में तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े। वर्ष २००३ में अशोक सिंघल द्वारा रिटायरमेंट की घोषणा के बाद अनौपचारिक रूप से तोगड़िया को विहिप का मुखिया बना दिया गया। लेकिन वर्ष २०११ में वे अधिकृत तौर पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने। तोगड़िया के मुताबिक, ‘हिन्दू मजबूत और सैन्य स्थिति में होने के बावजूद सभी धर्मों को सामान दृष्टि से देखता है।’

विवाद…

१. सुनी सुनाई बातों के अनुसार, एक वक्त ऐसा था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तोगड़िया गहरे मित्र हुआ करते थे और दोनों एक साथ, एक ही स्कूटर से आरएसएस कार्यकर्ताओं से मिलने जाया करते थे। हालांकि वर्ष २००२ में मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनते ही दोनों के संबंधों में कड़वाहट आ गई। कहा तो यह भी जाता है कि वर्ष २००७ के गुजरात विधानसभा चुनाव में विहिप ने परोक्ष रूप से मोदी का विरोध ही किया था। इसके चलते इन दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गईं।

२. कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि प्रवीण तोगड़िया सौराष्ट्र के पटेल समुदाय से आते हैं, ऐसे में अटकलें यह भी थीं कि हार्दिक पटेल को पर्दे के पीछे से प्रवीण तोगड़िया का भी सहयोग था। इसी ‘राजनीतिक शत्रुता’ ने मोदी और तोगड़िया के बीच की दरार और चौड़ा करने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा संघ और भाजपा भी चाहते हैं कि तोगड़िया को विहिप के मुखिया पद से हटाया जाए। शायद तोगड़िया की मोदी से नाराजगी का यह भी एक कारण हो सकता है।

३. तोगड़िया के विवादित भाषणों के चलते देश के कई राज्यों में उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं। वर्ष २००३ में राजस्थान में उनका त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम भी काफी सुर्खियों में रहा था, जब लोगों को त्रिशूल बांटे गए थे। चाहे अल्पसंख्‍यक समुदाय को गुजरात दंगे की याद दिलाने की बात हो या फिर हिन्दूओं से मुस्लिम पड़ोसियों को भगाने की बात हो, उनके विवादित बयानों की सूची बहुत लंबी है।

अपनी बात…

तोगड़िया ने विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सिंघल की जगह ली थी परंतु १४ जून, २०१८ को उन्होंने स्वयं को विश्व हिन्दू परिषद से अलग कर लिया तथा २४ जून, २०१८ को दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ राम मंदिर, धारा-३७०, गौ हत्या पर कानून जैसे मुद्दों को केंद्र बना कर “अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद” (AHP) की स्थापना की।

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