आज १३ जनवरी है और आज हम बात करेंगे राकेश के बारे में। वही अपना राकेश जिसे बचपन से ही विज्ञान में काफी रुचि थी, जिसे बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखने की आदत थी। राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। कृत्रिम आसमानी परिंदों को देखते देखते राकेश के मन में उड़ने की चाह जाग उठी और फिर क्या, वह बस उसी ओर लग गए और एक दिन वो कर दिखाया जिससे हर भारतीय को उनसे कहीं जादा खुद पर गर्व हो उठा।
पटियाला के एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार में १३ जनवरी, १९४९ को जन्में राकेश ने हैदराबाद की उस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बात १९६६ की है, एनडीए पास कर के मात्र २१ साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद राकेश का जोश दूगना हो गया और वो इसे बरकरार रखते हुए तेजी से आगे बढ़ते गए।
भारत पाकिस्तान का वो १९७१ का ऐतिहासिक युद्ध जिसके दौरान हमारे अपने राकेश ने विमान “मिग एअर क्रॉफ्ट” से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। यही वह युद्ध है जिसके बाद से राकेश चर्चा में आए। राकेश ने दिखा दिया कि कितनी भी कठिन परिस्थिति हो उसमें भी किस तरह काम किया जा सकता है। चलिए अब हम बात करते हैं २ अप्रैल १९८४ के उस ऐतिहासिक पल की जब दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-११ में राकेश को लॉन्च किया गया। इस उड़ान में और साल्युत ७ अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास भी किया। तत्कालिन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने राकेश से पूछा कि ऊपर, “अन्तरिक्ष से भारत कैसा दिखता है”। राकेश शर्मा ने उत्तर दिया, “सारे जहाँ से अच्छा”
भारत के पहले और विश्व के १३८ वें अंतरिक्ष यात्री राकेश के इस जवाब ने हर हिन्दुस्तानी को रोमांचित कर दिया था। अब तो आप पहचान ही गए होंगे अपने राकेश को, जी हां सही पहचाना…ये हैं हमारे देश के पहले अंतरिक्ष यात्री…
श्री राकेश शर्मा
जन्म – १३ जनवरी १९४९
स्थान – लुधियाना, पंजाब
श्री शर्मा जी विंग कमांडर के पद से सेवा-निवृत्त हुए और उसके बाद उन्होने हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में परीक्षण विमानचालक के रूप में भी कार्य किया। २००६ में इन्होंने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक समिति में भाग लिया जिसने एक नए भारतीय अन्तरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी।
अशोक चक्र से सम्मानित श्री राकेश शर्मा जी को उनके जन्मदिवस पर अश्विनी राय ‘अरुण’ का बारम्बार नमन।
धन्यवाद !