भारत में ही भारतीयों को मुंसिफ आदि पदों तक पर भी न्युक्ति नहीं की जाती थी। १८३२ में भारतीयों के लिए मुंसिफ और सदर अमीन पद बनाए गए और इस पद पर भारतीयों को नियुक्त किया जाना शुरू किया गया। ऐसा जान पड़ता है की यह एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया थी जिसमें वहां सरकार सफल हो गई…

इसीलिए तो १८३३ में डिप्टी मजिस्ट्रेट और डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट पर भी भारतीयों को चयन की इजाजत दे दी गई। पहली बार इंडियन सिविल सर्विस में भारतीय भी बैठे। इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय सत्येंद्रनाथ टैगोर थे। इंडियन सिविल सर्विसेज एक्ट १८६१ के तहत भारतीय सिविल सेवा का गठन किया गया था। जून १८६३में पहली बार सत्येंद्रनाथ का चयन हुआ था। फिर वे ट्रेनिंग के लिए लंदन चले गए और नवंबर १८६४ में वापस आए।

सत्येंद्रनाथ ने १८६५ में अहमदाबाद के सहायक मैजिस्ट्रेट और कलेक्टर के पद पर काम शुरू किया और वे सिविल सर्विसेज में लगभग ३० सालों तक रहे। उन दिनों अधिकारियों का मुख्य काम टैक्स की उगाही करना होता था। १८६५ में महाराष्ट्र के सतारा में जज के पद से रिटायर हुए।

सत्येंद्रनाथ टैगोर जी का जन्म १ जून १८४२ को कोलकाता में हुआ था। सत्येन्द्रनाथ एक प्रसिद्ध लेखक, बहुभाषाविद, गीतकार आदि थे। इनका एक परिचय यह भी है की ये महान कवि गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई भी हैं।

आज ही के दिन यानी १ जून को जन्में श्री टैगोर को अश्विनी राय ‘अरूण’ का नमन, वंदन।

धन्यवाद !

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