उस्ताद मुश्ताक अली ख़ान के शागिर्द, देबू चौधरी का जन्म आज़ादी से पूर्व ३० मई, १९३५ को म्यमेनसिंह (बांग्लादेश) हुआ था। भारत के महान शास्त्रीय संगीतज्ञों की तरह उन्होंने बाल्यावस्था में, जब वह महज चार साल के थे तभी से प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू कर दिया था।
कार्य क्षेत्र…
वह जयपुर के सेनिया संगीत घराना से थे, जिसे तानसेन परिवार के वंशजों ने शुरू किया था और जिन्हें रागों की शुद्धता को संरक्षित रखने के लिए जाना जाता है। उन्होंने सेनिया संगीत घराना के पंचू गोपाल दत्ता और संगीत आचार्य उस्ताद मुश्ताक अली खान से संगीत की शिक्षा ली की थी। आज देबू चौधरी का नाम उस्ताद विलायत ख़ान, पंडित रविशंकर और पंडित निखिल बनर्जी जैसे भारत के प्रख्यात सितारवादकों में गिना जाता है।इतना ही नहीं देबू चौधरी शिक्षक और लेखक भी थे, जिन्होंने छ: पुस्तकें लिखीं और साथ ही नये राग भी बनाए।
सम्मान…
भारत सरकार ने वर्ष १९९२ में कला के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था।
निधन…
मशहूर सितार वादक पंडित देबू चौधरी का निधन शनिवार दिन ८५ वर्ष की आयु में १ मई, २०२१ को दिल्ली, भारत में हुआ। बताया जाता है कि सितारवादक कई दिनों से कोरोना से संक्रमित थे। जहां उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।