सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनन्दन:।
पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महद्।।
“समस्त उपनिषद गौओं के समान हैं, उन्हें दुहने वाला ग्वाला कृष्ण हैं। उस दुग्ध का प्रथम आस्वादन करने वाला अर्जुन उस का बछड़ा हैं और बछड़े से बचे दूध को पान करने वाले अन्य शुद्ध बुद्धि वाले जन हैं।”
द्वापर युग के दौरान कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। पुराणों के अनुसार ज्ञान का वह शुभ दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की एकादशी थी। उसी दिन योगेश्वर ने अर्जुन के ज्ञानचक्षु खोले थे अतः इस दिन को गीता जयंती अथवा मोक्षदायिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
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