November 21, 2024

विषय – सहानुभूति

दिनाँक : 06/10/19

जिसने दूसरों को जाना
उसके दुःख को पहचाना
उन दुःखों को अपना माना
वही तो सच में है अपना

क्या उसमें दया का घमण्ड नहीं
अपनी मानवता का दंभ नहीं
क्या मेरे दुःख से वो दुःखी है
क्या उसमें संवेदना का दर्प नहीं

ये सारे रूप सहानुभूति के हैं
जैसे लक्षण मांगने और देने के हैं
सहानुभूति, समानुभूति ना हो
स्वरूप कहां अपनो से हैं

सहानुभूति में संवेदना का दर्प है
समानुभूति में दुःखी का दर्प है
दुःख को महसूस करने का हर्प है
यही तो दोनों में फर्क है

सहानुभूति में संवेदना का व्यवहार
समानुभूति में व्यवहार में संवेदना
सहानुभूति में परिवार भी लाचार
समानुभूति में बेगाना भी परिवार

कहत कवि ‘अश्विनी’ सुनो मेरे यार
सहानुभूति लगे बेगाना सा
समानुभूति है असली व्यवहार
जिससे मिले अपनों सा प्यार

अश्विनी राय ‘अरूण’

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