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पोखरण या पोकरण जैसलमेर से ११० किलोमीटर दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर एक प्रसिद्ध एवम प्रमुख कस्बा है। पोखरण में लाल पत्थरों से निर्मित एक सुन्दर दुर्ग है, जिसका निर्माण सन १५५० में राव मालदेव (राव जोधा के वंशज राव गांगा के पुत्र व राव चन्द्रसेन के पिता) ने कराया था। इस स्थल की आधुनिक प्रसिद्धी बाबा रामदेव के गुरूकुल के रूप में है। इतना ही नहीं, पोखरण के पास आशापूर्णा मंदिर, खींवज माता का मंदिर, कैलाश टेकरी दर्शनीय स्थल भी हैं। जानकारी के लिए यह भी बताते चलें कि पोखरण से तीन किलोमीटर दूर स्थित सातलमेर को पोखरण की प्राचीन राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। और अंत में; पोखरण नाम विश्व पटल पर सुर्खियां तब बटोरा जब भारत का पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण १८ मई, १९७४ को किया गया। पुनः ११ और १३ मई १९९८ को यह स्थान इन्हीं परीक्षणों के लिए चर्चित रहा।

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