किसी के मरने के बाद सिर्फ उसकी अच्छाइयों को ही गिनाया जाता है, मैं भी लग जाऊँ कतार में…

मगर कैसे अपने अंतरमन को समझाऊं, कैसे उसे बहकाऊ। आखिर वो मेरा ही तो मन है, मेरी तरह जिद्दी…

आज हर तरफ हर समाचारों में, न्यूजचैनलों में यह याद दिलाया जा रहा है कि इस देश ने गिरीश कर्नाड को पद्मश्री, पद्मभूषण, साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित किया है। मगर गिरीश ने देश को क्या दिया है, यह तो बताया ही नहीं जा रहा।

चलिए हम याद दिला देते हैं…

यही वह गिरीश कर्नाड है जिसने पाकिस्तान परस्त देशद्रोही अरुंधति रॉय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु की फांसी की सज़ा के खिलाफ बड़ी जोरदार ज़ंग भी लड़ी थी जैसे वह कोई देशभक्त हो।

देखिए ना न्यूजचैनलों द्वारा यह भी नहीं बताया जा रहा कि इसी गिरीश कर्नाड ने कर्नाटक के महान योद्धा और अत्यधिक सम्मानित शासक रहे केम्पेगौड़ा के नाम पर बने बंगलुरू एयरपोर्ट का नाम बदलकर टीपू सुल्तान एयरपोर्ट कर देने की मांग का अभियान इसलिए चलाया था क्योंकि उसके अनुसार केम्पेगौड़ा और छत्रपति शिवा जी तथा महाराणा प्रताप से भी बड़ा और महान योद्धा टीपू सुल्तान था। गिरीश कर्नाड की इस कुकर्मी मांग के खिलाफ कर्नाटक की जनता सड़कों पर उतर आई थी और हज़ारों की संख्या में उसके पुतले फूंक कर, उसके घर पर अद्धे और पत्थर की जमकर बरसात की थी। परिणामस्वरूप इस गिरीश कर्नाड को हाथ पांव जोड़कर माफी मांगनी पड़ी थी।

मीडिया के द्वारा यह भी नहीं बताया जा रहा कि JNU में हुई “भारत तेरे टुकड़े होंगे” और “भारत की बरबादी तक ज़ंग चलेगी ज़ंग चलेगी” सरीखी देश विरोधी नारेबाजी में नामजद और गिरफ्तार हुए कन्नैहया कुमार के खिलाफ दर्ज मुकदमे के विरोध में यही गिरीश कर्नाड बंगलौर में धरना प्रदर्शन अनशन की बेहयाई पर उतारू हो गया था।

अखबारों ने यह भी नहीं बताया की गिरीश कर्नाड गौमांस भक्षण का इतना बड़ा समर्थक था कि गौमांस खाने की वकालत खुलकर करता था और गौमांस की सार्वजनिक दावतों में चीफ गेस्ट तक बनकर जाता था।

मानता हूँ की वह एक महान कलाकार था, उसने एक से बढ़कर एक फिल्मों व नाटकों में काम किए थे। सकारात्मक चरित्र भी किए तो कभी विलेन भी बन कर आए। यहीं वह भूल गया की फिल्मों के विलेन में और असली जीवन के विलेन में फर्क होता है। जहां एक तरफ शाबाशी, पैसा और अवार्ड मिलते हैं वहीं दूसरी ओर सिर्फ भर्त्सना।

अब आज आप ही बताएं…
गिरीश कर्नाड के मरने पर मैं कैसे शोक मनाऊं, मैं कैसे उन्हें श्रद्धांजलि दूं? ? ?

मगर Ashwini Rai ‘अरूण’ चाहता है, जो हुआ सो हुआ भगवान उनकी भी आत्मा को शांति प्रदान करें और मुक्ति प्रदान करें।

धन्यवाद !

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