April 11, 2025

#SC/#STएक्ट

1) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
FIR से पहले DSP स्तर पर जांच
संशोधन
शिकायत मिलते ही FIR

2) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
गिरफ़्तारी के लिए इजाज़त ज़रूरी
संशोधन
बिना इजाज़त गिरफ़्तारी

3) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
अग्रिम ज़मानत पर पूरी तरह रोक नहीं
संशोधन
अग्रिम ज़मानत का प्रावधान नहीं

20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये दिशा निर्देश

1. कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी, गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी। FIR दर्ज करने से पहले DSP स्तर का पुलिस अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा।

2. इस मामले में अग्रिम जमानत पर भी कोई संपूर्ण रोक नहीं है। गिरफ्तारी से पहले जमानत दी जा सकती है। अगर न्यायिक छानबीन में पता चले कि पहली नजर में शिकायत झूठी है।

3. यदि कोई आरोपी व्यक्ति सार्वजनिक कर्मचारी है, तो नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना और यदि व्यक्ति एक सार्वजनिक कर्मचारी नहीं है तो जिला के वरिष्ठ अधीक्षक की लिखित अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी। ऐसी अनुमतियों के लिए कारण दर्ज किए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति व संबंधित अदालत में पेश किया जाना चाहिए।

4. मजिस्ट्रेट को दर्ज कारणों पर अपने विवेक से काम करना होगा और आगे आरोपी को तभी में रखा जाना चाहिए जब गिरफ्तारी के कारण वाजिब हो। यदि इन निर्देशों का उल्लंघन किया गया तो ये अनुशासानात्मक कार्रवाई के साथ-साथ अवमानना कार्रवाई के तहत होगा।

किसी भी नागरिक के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटके रहना सभ्य समाज नहीं : SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट

कैबिनेट का अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधित बिल, 2018

1. इस तरह के अपराध की शिकायत मिलते ही पुलिस FIR दर्ज करे। केस दर्ज करने से पहले जांच जरूरी नहीं।

2. गिरफ्तारी से पहले किसी की इजाजत लेना आवश्यक नहीं है।

3. केस दर्ज होने के बाद अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं होगा। भले ही इस संबंध में पहले का कोई अदालती आदेश हो।

अब आप सब यह भी देखें…..

#रॉलेटऐक्ट मार्च 1919,

यह कानून सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर बनाया गया था। इसके अनुसार ब्रितानी सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए और बिना दंड दिए उसे जेल में बंद कर सकती थी। इस क़ानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था।

1. इस अधिनियम ने प्रभावी रूप से सरकार को ब्रिटिश राज में आतंकवाद (क्रांतिकारी गतिविधियों) से संबधित किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को दो साल तक मुकदमा किए बिना कैद करने के लिए अधिकृत किया।

2. सभी क्रांतिकारी गतिविधियों से निपटने के लिए अधिकारियों को शाही शक्तियां प्रदान की गयी,अर्थात जंगलराज !

3. प्रेस के लिए सख़्त नियंत्रण प्रदान किए गए।
बिना वारंट के गिरफ्तारी।

3. बिना परीक्षण के अनिश्चितकालीन निरोध। और भ्रामक राजनीतिक कृत्यों के लिए कैमरा परीक्षण में कोर्ट की जूरी नहीं होगी ।

4. आरोपियों को आरोपी और मुकदमे में इस्तेमाल होने वाले सबूतों को जानने का अधिकार नहीं।

5. दोषी ठहराए गए लोगों को रिहाई पर प्रतिभूति जमा करने की आवश्यकता अर्थात बेवजह सरकारी उगाही।

6. दोषी ठहराए गए लोग किसी भी राजनीतिक, शैक्षणिक या धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से निषिद्ध अर्थात सामाजिक बहिष्कार को लागू करना ।

7. किसी भी व्यक्ति को तलाश करने के लिए पुलिस को भारी शक्तियां।

#निष्कर्ष 1919 का क्या निकला या 2018 का भविष्य क्या होगा….

#जलियाँवाला हत्याकांड…

13 अप्रैल को लोग अमृतसर में वैसाखी दिवस समारोह के लिए इकट्ठा हुए, जिससे 1919 का कुख्यात जलियाँवाला हत्याकांड हो गया।

कहना मुश्किल नहीं कि कैसे देश को स्वतन्त्रता मिली इस तरह काले कानूनों से और दमनकारी नीतियों से और क्या महत्व है इस स्वतन्त्रता का।

जय हिन्द या हाय – हाय

About Author

Leave a Reply

RocketplayRocketplay casinoCasibom GirişJojobet GirişCasibom Giriş GüncelCasibom Giriş AdresiCandySpinzDafabet AppJeetwinRedbet SverigeViggoslotsCrazyBuzzer casinoCasibomJettbetKmsauto DownloadKmspico ActivatorSweet BonanzaCrazy TimeCrazy Time AppPlinko AppSugar rush