images (4)

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल को दूर करने वाले हैं, वो दशरथ नंदन श्रीराम जी हैं, वो मुझपर अपनी कृपा करें।

होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तर्क बढ़ाए साखा
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे।

धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिए चारी
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : धैर्य, धर्म, मित्र और नारी यानी पत्नी की परख आपत्ति के समय ही होती है।

जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : जिसको जिस चीज से सच्चा प्रेम होता है, उसे वह चीज अवश्य मिल जाती है। यानी सच्चे मन से चाही गई वस्तु अवश्य प्राप्त होती है।

जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : जिसकी जैसी भावना होती है, उसे उसी रूप में भगवान दिखते है।

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : राजा दशरथ ने कहा हमारे वंश में यानी रघुकुल परंपरा रही है कि कोई भी अपने वचनों से नहीं फिर सकता है।

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
(राम सिया राम, सिया राम जय जय राम)

अर्थ : हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *