हमारी नई साझा संग्रह… हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद संपादक...
जिउतिया व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया...
समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चैनलों के बाबत कंगना राणावत...
आधी अधूरी आजादी हिंद सिसक सिसक कहता है, क्या...
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों...
एक पाति पत्नी के नाम तुम जब नहीं होती…...
नगाड़े बज उठे दुंदुभी भी बज पड़ी है...
जमाने के रंग जब जब बदले, तुम भी...
आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ...
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती...