बासु चटर्जी हिंदी और बंगाली सिनेमा के जाने-माने पटकथा लेखक और निर्देशक थे। उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत बासु भट्टाचार्य का सहायक बनकर की। बासु भट्टाचार्य और ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों की तरह बासु चटर्जी की फिल्में भी हल्के मूड वाली मध्यम वर्गीय परिवार की कहानियां होती थीं। वह अपनी फिल्मों में शादी और प्रेम संबंधों पर ज्यादा जोर देते थे। इसके अलावा उनकी फिल्में सामाजिक और नैतिक मुद्दों पर भी बातचीत करती थीं।
७० व ८० के दशक में हिंदी सिनेमा को बासु चटर्जी ने कई ऐसी फिल्में दी जिन्होंने इंडस्ट्री के कई आयामों को बदल दिया। बासु दा ने १९६९ में आई अपनी फिल्म ‘सारा आकाश’ के जरिए फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। फिल्म ‘सारा आकाश’ के निर्देशन से पहले बासु दा ने १९६६ में रिलीज हुई राज कपूर और वहीदा रहमान स्टारर फिल्म ‘तीसरी कसम’ के निर्देशक बासु भट्टाचार्य के सहायक के तौर पर काम किया।
परिचय…
बासु चटर्जी का जन्म १० जनवरी, सन १९२७ को राजस्थान के अजमेर में हुआ और उन्होंने भारतीय सिनेमा में सराहनीय काम किया। मुंबई के एक अखबार में कार्टूनिस्ट और इलस्ट्रेटर का काम करने वाले बासु दा के बारे में किसने सोचा था कि वह भारतीय सिनेमा को अगली सीढ़ी पर कदम रखने में मदद करने वाले दिग्गज फिल्ममेकर साबित होंगे। राज कपूर और वहीदा रहमान की फिल्म ‘तीसरी कसम’ में उन्होंने बासु भट्टाचार्य को असिस्ट किया था। ये फिल्म साल १९६६ में रिलीज हुई थी और इसमें बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड जीता था। जहां तक उनके डायरेक्टोरियल डेब्यू की बात है तो उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में फिल्म ‘सारा आकाश’ से शुरुआत की थी। ये फिल्म साल १९६९ में रिलीज हुई थी और इसके लिए बेस्ट स्क्रीनप्ले का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था।
बासु चटर्जी की फिल्मों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। उन्होंने ‘पिया का घर’, ‘उस पार’, ‘चितचोर’, ‘स्वामी’, ‘खट्टा मीठा’, ‘प्रियतमा’, ‘चक्रव्यूह’, ‘जीना यहां’, ‘बातों बातों में’, ‘अपने प्यारे’, ‘शौकीन’ और ‘सफेद झूठ’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था।
प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक…
आज भले ही बासु चटर्जी नहीं रहे, लेकिन वे छोड़ गए हैं ढेर सारी सदाबहार फिल्में जो आज भी ताज़ा हैं और लोगों का मनोरंजन कर रही हैं। वैसे टीवी पर भी अस्सी के दशक में बासु चटर्जी क्रांति लेकर आये थे सीरियल ‘रजनी’ के साथ। उन्होंने भारतीय टेलीविज़न को दी थी टीवी की पहली गृहणी। जो था सीरियल ‘रजनी’ १९८५ में। अभिनेत्री प्रिया तेंदुलकर ने इस किरदार से उस वक़्त खलबली मचा दी थी। इस मजेदार महिला प्रधान सीरियल्स के करीब १५ साल बाद सीरियल्स महिला प्रधान ही बनते चले गए। इसके अलावा बासु चटर्जी ने भारतीय टीवी को पहला बिना टोपी वाला जासूस भी दिया था। ये सीरियल था १९९३ में आया सीरियल ‘ब्योमकेश बख्शी’ अभिनेता रजित कपूर ने ब्योमकेश का किरदार निभाया था।
बंगला उपन्यास पर आधारित ‘ब्योमकेश बख्शी’ को उस वक़्त लोगों ने बहुत पसंद किया था और आज भी इस सीरियल को खूब देखा जा रहा है। इस सीरियल के दो सीजन आये, एक १९९३ और एक १९९७ में। ‘करमचंद’ जहां अस्सी के दशक का लोकप्रिय जासूसी सीरियल्स था तो नब्बे के दशक में छाया रहा ‘ब्योमकेश बख्शी’। इसके अलावा टीवी पर बासु चटर्जी ने कई और लोकप्रिय सीरियल्स भी बनाये थे। जैसे ‘दर्पण ‘ और ‘कक्का जी कहिन’, दर्पण में उन्होंने विदेशी कहानियों को देसी अंदाज़ में दिखाया था तो ‘कक्का जी कहिन ‘ में ओम पुरी को लेकर भारत का पहला कॉमेडी वाला नेताओं पर व्यंगात्मक शो बनाया।
दूरदर्शन के बाद प्राइवेट चैनल्स के लिए बासु चटर्जी शोज बनाना चाहते थे, पर ख़राब स्वास्थ्य की वजह से वह कभी बना नहीं पाए और ये बीड़ा उनकी बेटी रुपाली और दामाद पिंटू ने उठाया। बासु चटर्जी की बेटी रुपाली गुहा सीरियल्स की दुनिया की नामचीन प्रोडूसर हैं। जिन्होंने ‘उतरन’, ‘इश्क़ का रंग सफ़ेद’ और ‘परफेक्ट पति’ जैसे शोज बनाए। बासु की फिल्मों की तरह उनके सीरियल में आम आदमी और उनसे जुडी हुई हास्यास्पद हालात दिखाए जाते थे। उनकी फिल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बहुत ज़्यादा देखी जाती हैं। जिनमें शामिल हैं- ‘चमेली की शादी’, ‘बातों बातों में’, ‘शौक़ीन’, ‘चितचोर’ और ‘खट्टा मीठा’।
मृत्यु…
जाने-माने फिल्म निर्देशक और लेखक बासु चटर्जी का ९० साल की उम्र में ६ जून, २०२० को निधन हुआ। मुम्बई के सांताक्रूज स्थित अपने घर पर उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्हें पहले से ही डायबीटीज (मधुमेह) व हाई ब्लड प्रशर संबंधी बीमारी थी और वह काफी लंबे समय ले बीमार चल रहे थे। सांताक्रूज के शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
प्रमुख फ़िल्में…
१. रजनीगंधा – साल १९७४ में आई फिल्म ‘रजनीगंधा’ बासु चटर्जी की हिट फिल्मों में शामिल है। फिल्म में लीड रोल में ऐक्टर अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा नजर आए थे।
२. छोटी सी बात – यह १९७५ में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में ऐक्टर अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा लीड रोल में थे।
३. चितचोर – फिल्म ‘चितचोर’ में अमोल पालेकर और जरीना बहाव नजर आई थीं। यह फिल्म साल १९७६ में रिलीज हुई थी।
४. खट्टा-मीठा – यह साल १९७८ में रिलीज हुई थी। फिल्म में लीड रोल में राकेश रोशन और बिंदिया गोस्वामी नजर आए थे।
५. दिल्लगी – फिल्म ‘दिल्लगी’ साल १९७८ में आई थी। इस फिल्म में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने काम किया था।
६. बातों-बातों में – १९७९ में रिलीज हुई फिल्म ‘बातों-बातों में’ अमोल पालेकर ने काम काम किया। उनके साथ इस फिल्म में टीना मुनीम नजर आई थीं।
७. मनपसंद – साल १९८० में फिल्म ‘मनपसंद’ आई थी। इस फिल्म में देवानंद, सिंपल कपाड़िया और टीना मुनीम मुख्य भूमिका में थे।
८. शौकीन – बासु चटर्जी की फिल्म ‘शौकीन’ साल १९८१ में रिलीज हुई थी। फिल्म में उत्पल दत्त, अशोक कुमार, ए के हंगल लीड रोल में थे।
९. चमेली की शादी – १९८६ में आई फिल्म ‘चमेली की शादी’ बासु चटर्जी की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। अनिल कपूर और अमृता सिंह मुख्य भूमिका में थे।
१०. गुदगुदी – १९९७ में फिल्म ‘गुदगुदी’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अनुपम खेर और जुगल हंसराज ने लीड रोल किया था।