Tag: प्यार

फिर से प्यार हो गया

साहित्य सरोज १. बचपन का प्यार... हम दोनों साथ ही साथ स्कूल जाते, एक ही बैंच पर बैठते, साथ ही लंच करते और फिर साथ ही घर आ जाते। दोनों का घर पास पास...

एक बार फिर लौट आओ

एक पाति पत्नी के नाम तुम जब नहीं होती... ये हवाएं थम जाती हैं ये जहां रुक जाती है फूलों से खुश्बू रहती गायब रौशनी मध्यम सी हो जाती हैं ये तो सच है... आज मैं जो हूँ कब था...
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