वन (संरक्षण) अधिनियम,१९८० एवं किए गए संशोधन के साथ में १९८८

यह अधिनियम वनों तथा इससे जुड़े या सहायक या इसके आनुषंगिक मामलों को संरक्षण प्रदान करता है। यह भारत गणराज्य के ३१वें वर्ष में संसद द्वारा निम्नानुसार अधिनियमित हो: –

१. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ:
(१) इस अधिनियम को वन (संरक्षण) अधिनियम, १९८० कहा जा सकता है।
(२) यह जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है।
(३) यह अक्तूबर, १९८० के २५ वें दिन प्रवृत्त समझा जाएगा।

२. जंगलों का अनारक्षण या गैर वन उद्देश्य के लिए वन भूमि के उपयोग पर प्रतिबंध:-
हालॉकि किसी भी कानून के किसी राज्य में लागू होने के समय कुछ भी निहित होते हुए भी, कोई राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना किसी भी आदेश का निर्देशन नहीं करेगा-

(i) कि कोई भी आरक्षित वन या उसका कोई भाग (उस राज्य में तत्समय प्रवृत्त किसी भी विधि में “वन आरक्षित” के संदर्भ में) सुरक्षित होने के लिए संघर्ष करेगा।
(ii) किसी भी वन भूमि या उसके किसी भाग को किसी भी गैर वन उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
(iii) कि किसी भी वन भूमि या उसके किसी भाग को पट्टे के माध्यम से या बिना पट्टे के किसी भी निजी व्यक्ति, प्राधिकारी, निगम, एजेंसी या किसी भी अन्य संगठन को सौंपा जा सकता है जिसमें सरकार का स्वामित्व या उसके द्वारा प्रबंधित या नियंत्रित ना हो।
(iv) कि किसी भी वन भूमि या उसके किसी भाग को पुनर्वनरोपण के उद्देश्य से, उसमें उगे वृक्षों को साफ किया जा सकता है जो वहां प्राकृतिक रूप से उगे हों।

स्पष्टीकरण: –
इस खंड के प्रयोजन के लिए, “गैर वन उद्देश्य” को तोड़ने या किसी भी वन भूमि या उसके किसी भाग के समाशोधन का अर्थ है –
(क) चाय, कॉफी, मसाले, रबर, ताड़ का पेड़, तेल रखनेवाले पौधे, बागवानी फसलों या औषधीय पौधों की खेती।
(ख) पुनर्वनरोपण के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए, किन्तु संरक्षण, वनों और वन्यज जीवों के विकास एवं प्रबंधन, जांच चौकियों, फायर लाइन, बेतार संचार एवं बाढ़ निर्माण, पुलों एवं पुलियों, बांधों, झरनों, खाई के निशान, सीमा के निशान, पाइपलाइनों या इनके जैसे अन्यक उद्देश्यों से संबंधित या सहायक शामिल नहीं है।

३. सलाहकार समिति का गठन: –
केन्द्र सरकार व्यक्तियों की इतनी संख्या से मिलकर एक समिति का गठन कर सकते हैं जो सरकार को निम्न से संबंधित सलाह देने में समर्थ हों-
(i) धारा २ के तहत अनुदान की मंजूरी, और
(ii) वनों के संरक्षण से संबंधित कोई अन्य विषय जो केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए भेजा जा सकता है।

३ए. अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए जुर्माना: –
धारा २ के प्रावधानों में से किसी का भी उल्लंघन होता है या उल्लंघन को शह मिलता है, तो एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडनीय होगा जो पंद्रह दिन तक का हो सकता है।

३बी. अधिकारियों और सरकारी विभागों द्वारा अपराध: –
(१) जहां इस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया गया है-
(क) सरकार के किसी भी विभाग, विभाग के प्रमुख द्वारा या
(ख) किसी भी प्राधिकारी द्वारा अपराध किया जाता है तो हर वह व्यक्ति, जो कारोबार के संचालन के लिए अधिकारी था, जिम्मेदार था और सीधे आरोपित था,

अपराध का दोषी होगा और उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी तथा तदनुसार दंड का उत्तरदायी समझा जाएगा।

इस उप – धारा में कुछ भी निहित नहीं है विभाग का प्रमुख या खंड (ख) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति, किसी भी सजा के लिए उत्तरदायी होगा, अगर साबित होता है कि वह अपराध उनकी जानकारी के बिना हुआ था या कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए सभी प्रयास किया गया।

(२) उप – धारा (१) में निहित, जहां सरकार के विभाग या खंड (ख) के उप – धारा (१) में निर्दिष्ट किसी भी प्राधिकारी द्वारा किया गया है और यह साबित हो गया है कि अपराध किसी की सहमति या मिलीभगत के साथ किया गया है, अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। या, विभाग के प्रमुख, के अलावा अन्य किसी भी अधिकारी की ओर से किसी भी उपेक्षा के कारण या एक अधिकार के मामले में, व्यक्ति के अलावा अन्य किसी भी व्यक्ति, खंड (ख) के उप – धारा (१) में निर्दिष्ट, ऐसे अधिकारी या व्यक्तियों को भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और उनके खिलाफ तदनुसार कार्यवाही की जायेगी और उन्हें दंडित किया जायेगा।

४. नियम बनाने की शक्ति:-
(१) केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रावधानों लागू करने के लिए नियम बना सकते हैं।
(२) इस अधिनियम के अधीन रखा गया प्रत्येक नियम, इसे बनाने के बाद जितनी जल्दी हो सके, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जबकि यह सत्र में है, तीस दिन की कुल अवधि के लिए, जो एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में शामिल किया जा सकता है, और यदि सत्र की समाप्ति से ठीक पहले सत्र के बाद, या पूर्वोक्त क्रमिक सत्र, दोनों सदनों के शासन में किसी भी प्रकार का संशोधन करने में सहमत, या दोनों सदनों की नियम नहीं बनाया जाना चाहिए में सहमति, नियम उसके बाद ही इस तरह के संशोधित रूप में प्रभावी होंगे, या कोई प्रभाव नहीं, जैसी भी स्थिति हो, तो फिर भी ऐसे किसी भी संशोधन या विलोपन, पक्षपात के बिना नियम के तहत वैधता के लिए किया जाएगा।

वास्तव में वन-नीति का संबंध पेड़ों से उतना नहीं है जितना लोगों से है। पेड़ों का संबंध वहीं तक है जहां तक वे लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं।” भारत में वन कभी भी लोगों के लिये आरक्षित नहीं रहे। अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति की व्यावसायिक सोच ही वन-संरक्षण की राह में एक बड़ी बाधा है। वन्य प्राणियों का अस्तित्व भी संकटग्रस्त हो चला है। उनको बचाने के लिये अभयारण्य की व्यवस्था की योजनाएं बनने लगीं। परंतु अब भी वन संरक्षण की समस्या जटिल साबित हो रही है क्योंकि अभयारण्य को विकसित करने की पहल ने आदिवासियों के प्राकृतिक जीवनशैली को संकट में डाल रखा है। वनों का बचाना मानव सहित समस्त प्राणियों के लिये अत्यावश्यक है।

अश्विनी राय ‘अरूण’

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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