April 29, 2024

 

क्या खास है इसमें

इक मीठी सी चुसकी के सिवा

ना तो इसमें सुबह की

भीनी खुशबू का एहसास है

और ना ही शाम के

सोंधी महक का एहसास ही

तो क्या खास है

इस दोपहर की चाय में

है न खास

बहुत ही खास

ये भरी दोपहरी में

अकेलेपन की साथी है

तो कभी दोस्तों के साथ 

समय बिताने की खुशी

कभी मेहमानों के

मेज़बानी का मजा

तो कभी जलते बदन लिए

मेहमान बनने की सजा

अजी बड़ी खास है

मीठी सी चुसकी के सिवा भी

ये दोपहर की चाय है 

रिश्तों की दवा भी उनकी दुवा भी

विद्यावाचस्पति अश्विनी राय ‘अरुण’

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