राय कृष्णदास

लेखक, गीतकार, कहानीकार, चित्रकार, मूर्तिकार, पुरातत्वविद् आदि विषयों में महारथ हासिल करने वाले कृष्णदास जी ‘ललित कला अकादमी’ के भी सदस्य थे, परंतु उनका विशेष योगदान हिन्दी के प्रति रहा। उन्होंने इसमें विशेष अभिरुचि और विश्लेषण के साथ हिन्दी साहित्य को सर्वांगपूर्ण बनाने में सहायता दी है। उनकी विद्वता को देखते हुए मुगलिया दरबार ने उन्हें ‘राय’ की उपाधि से नवाजा और वे कृष्णदास से राय कृष्णदास कहलाने लगे।

परिचय…

राय कृष्णदास ‘स्नेही’ जी का जन्म १३ नवंबर, १८९२ को वाराणसी में हुआ था। जब वे छोटे थे, तभी उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था, अतः उनकी औपचारिक शिक्षा का क्रम टूट सा गया। उन्होंने घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी और बंगला भाषा का अध्ययन किया। वाराणसी के तत्कालीन साहित्यिक वातावरण और जयशंकर प्रसाद, रामचन्द्र शुक्ल, मैथिलीशरण गुप्त आदि के सम्पर्क में आने के बाद उनमें साहित्यिक रुचि का जन्म हुआ।

साहित्यिक परिचय…

राय साहब ने कविता, निबन्ध, गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि सभी विषयों पर ग्रन्थों की रचना की। उनका बहुत बड़ा योगदान चित्रकला और मूर्तिकला के क्षेत्र में है। उनकी लिखित ‘भारत की चित्रकला’ और ‘भारतीय मूर्तिकला’ अपने विषय के मौलिक ग्रन्थ हैं। उन्होंने अपने निजी व्यय से एक उच्चकोटि के कला भवन का निर्माण किया। यह चित्रकला और मूर्तिकला आदि का अपने ढंग का एक विशाल संग्रहालय है। अब यह ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ का एक विभाग है और प्राचीन भारतीय कला-संस्कृत के अध्ययन का प्रमुख केन्द्र है।

‘राय’ की उपाधि…

जैसा कि हमने ऊपर ही कहा है राय कृष्णदास की चित्रकला, मूर्तिकला एवं पुरातत्त्व में विशेष रुचि थी। ये ‘ललित कला अकादमी’ के सदस्य थे। जानकारी के लिए बताते चलें कि वे राजा पटनीमल के वंशज थे। ‘राय’ की उपाधि इनकी आनुवंशिक थी, जो मुग़ल दरबार से मिली थी। राय कृष्णदास बनारस के मान्य परिवार के हैं। जयशंकर प्रसाद के घनिष्ठ मित्रों में से ये एक थे। राय कृष्णदास ‘भारती भण्डार’ (साहित्य प्रकाशन संस्थान) और ‘भारतीय कला भवन’ के संस्थापक थे।

कला प्रेमी…

साहित्यिक रुचियों के अतिरिक्त शोधपरक कार्यों के लिए मूल रचनाओं की प्रमाणिक हस्त प्रतियाँ प्राप्त करना, नये लेखकों की मूल पाण्डुलिपियों का संग्रह करना, प्राचीन चित्र और मूर्तियों को संचित करना, पुरानी विभिन्न भारतीय शैलियों के चित्रों को संग्रहीत करना राय साहब की विशेष रुचि है। वर्ष १९३९ में प्रकाशित ‘भारत की चित्रकला’ और ‘भारतीय मूर्तिकला’ इनके मौलिक ग्रन्थों में से हैं। राय कृष्णदास के इस अध्ययन और योजना के कारण आज ‘भारतीय कला भवन’ का एक ऐतिहासिक महत्त्व है। शायद यही कारण है कि इधर राय साहब साहित्यिक रचनाओं की अपेक्षा भारतीय चित्रों और मूर्तियों को पहचानने, काल निर्धारित करने में अधिक समय देने लगे थे।

रचनाएँ…

राय कृष्णदास की महत्त्वपूर्ण रचनाओं में से वर्ष १९१९ में प्रकाशित ‘साधना’ कहानी संग्रह, वर्ष १९२९ में ‘अनाख्या’, ‘सुधांशु’ मुख्य हैं तथा उसी वर्ष ‘प्रवाल’ गद्य गीतों का संग्रह भी प्रकाशित हुआ। भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला पर वैसे तो पाश्चात्य विद्वानों ने बहुत कुछ लिखा है, किन्तु हिन्दी में विशेष अभिरुचि और विश्लेषण के साथ राय कृष्णदास की पुस्तकों ने हिन्दी साहित्य को सर्वांगपूर्ण बनाने में सहायता दी है।

पुरस्कार/ सम्मान…

वर्ष १९८५ में अपने अनंत की यात्रा से पूर्व एवम पश्चात छोटे बड़े सैकड़ों पुरस्कार एवं सम्मान से सम्मानित श्री राय कृष्णदास जी को भारत सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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