November 15, 2024

हमारी नई साझा संग्रह…
हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद

संपादक : डॉ रघुनाथ पाण्डेय, डॉ दिलीप कुमार अवस्थी

हिन्दी लेखकों और हिन्दी भाषा जानने वालों का सदा से ही यह कहना है कि हिन्दी दिवस केवल सरकारी कार्य की तरह है, जिसे केवल किसी तरह निपटा कर अगले वर्ष के लिए टाल दिया जाता है। इससे हिन्दी भाषा का कोई भी विकास नहीं होने वाला, बल्कि इससे हिन्दी भाषा को हानि ही होती है। कितने ज्ञानी लोग हिन्दी दिवस समारोह में भी अंग्रेजी भाषा में लिख कर लोगों का स्वागत करते हैं। सरकार इसे केवल यह दिखाने के लिए चलाती है कि वह हिन्दी भाषा के विकास हेतु कार्य कर रही है। स्वयं सरकारी कर्मचारी भी हिन्दी के स्थान पर अंग्रेज़ी में कार्य करते नज़र आते हैं।

लेकिन कुछ लोगों की सोच यह भी है कि विविध कारण बताकर हिन्दी दिवस मनाने का विरोध करने और मजाक उड़ाने वाले यह चाहते हैं कि हिन्दी के प्रति रही-सही अपनत्व की भावना भी समाप्त की जाय। लोगों को यह अन्य कार्यक्रमों की तरह ही लगता है।

और हम स्वयम भी तो अंग्रेजी मोहजाल से निकल नहीं पाते, आखिर शिक्षित और विकसित का……..? ? ? ? बाकी तो आप स्वयं समझदार हैं।

धन्यवाद !

About Author

Leave a Reply