December 10, 2023

 

जमाने के रंग जब जब बदले,
तुम भी यूं ही बदल गए।
जवानी की गुमान में,
अंगद के पांव तुम भी बन गए।

आखों से ज्वाला बरसाकर,
ज्वालामुखी बन जाते हो।
तुम्हें देख सहम जाते हैं लोग,
जब कभी तुम आते हो।

तुम क्या लाए थे,
जो इतना अहम है।
तुमने क्या पैदा किया,
जो तुम्हें इतना घमण्ड है।

तुम्हारे पास जो भी है,
माँ बाप से प्राप्त है।
जो कुछ सीखा है,
गुरु कृपा से ज्ञात है।

खाली हाथ ही आए थे,
जिसे दुनिया ने भर दिया।
भौतिकता पर तुम्हें घमण्ड है,
वो पहले भी किसी का ना हुआ।

आज पर तुम इतना ना इतराओ,
कल रावण-कंस भी मजबूर हुए हैं।
समय की धारा में,
बड़े बड़े पत्थर भी चूर हुए हैं।

अश्विनी राय ‘अरुण’

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