October 22, 2024

 

आओ कुछ बात करें अपने जहान की,
हाँथ ही बात करेंगे दबे बेज़ुबान की।

आज पुते चेहरे चमक रहे शहरों में,
कौन खबर लेगा गांव के बूढ़े इंसान की।

हाँथ काट दिए नए नए मशीनों ने,
रूप भी बदल गए आज तो ईमान की।

विचार की चिंगारियां ठंडी पड़ी तो,
हाँथ बड़े हो गए आज बेईमान की।

सत्याचार के हाँथ से भ्रष्टाचार लेता है,
मानो पापी के घर कथा बाँचें पंडित भगवान की।

घोड़े की पिठ पर आज गधा करे सवारी,
लूट गई योजना नेता के हाथों जन कल्याण की।

तक्थ ऊंचे हो गए,
आज बात ना करो स्वाभिमान की।

बढ़ता जा रहा रंगे हाथों का जोर,
जिससे बढ़ती जाती आबादी श्मशान की,

अपना घर अपने हाँथ से निकला,
और हाँथ लगा मेहमान की।

दरक रही है सभ्यता मिट रहा समाज है,
संतों को छोड़ हांथ जोड़ो दीवान की।

युध्द सर पर नाच रही है,
हाँथ तलवार लो बात ना करो मयान की।

आओ कुछ बात करें अपने जहान की,
हाँथ ही बात करेंगे दबे बेज़ुबान की।

अश्विनी राय ‘अरुण’

About Author

Leave a Reply