November 21, 2024

 

नगाड़े बज उठे
दुंदुभी भी बज पड़ी है
कुछ तो होने वाला है
सच में कुछ तो होने वाला है

चहूँ ओर घटा छाई है
ऋतु बदलने वाला है
चित्कार में भी कोई सार है
समय बदलने वाला है

वार करो रुको मत
हे पार्थ ! ना विचार करो
जग का सार मैं ही हूँ
चेतन का तुम विस्तार करो

देखो मरने वालों को
सोचो कौन इनको मार रहा है
जीवन कालिख मिट चुकी है
फिर शैशव आने वाला है

सब प्रेम हास में विधने वाले हैं
नवयुग सजने वाला हैं
इसके तुम प्रमाण बनो
हे पार्थ ! परिवर्तन आने वाला है

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