Tag: हिंदी

स्वामी भवानी दयाल संन्यासी

आज हम बात करने जा रहे हैं, एक ऐसे राष्ट्रसेवक, देशभक्त, हिन्दी सेवक के बारे में, जिन्होंने भारत से बाहर दक्षिण अफ्रीका में हिंदी साहित्य एवम भाषा को स्थापित किया तथा भारत...

कबीर दास

भजो रे भैया राम गोविंद हरी। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी।। जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी।। संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी।। कहत कबीर राम नहीं...

राय कृष्णदास

लेखक, गीतकार, कहानीकार, चित्रकार, मूर्तिकार, पुरातत्वविद् आदि विषयों में महारथ हासिल करने वाले कृष्णदास जी ‘ललित कला अकादमी' के भी सदस्य थे, परंतु उनका विशेष योगदान हिन्दी के प्रति रहा। उन्होंने इसमें...

भारतीय साहित्य में नाथ परंपरा की अनुश्रुतियां और दंतकथाएं

साझा संग्रह में प्रकाशित... सनातन संस्कृति के मुख्यतः चार संप्रदाय हैं, वैदिक, वैष्णव, शैव और स्मार्त। शैव संप्रदाय के अंतर्गत ही शाक्त, नाथ और संत संप्रदाय आते हैं। नाथ संप्रदाय बौद्ध, शैव तथा...

हिंदी का वैश्विक प्रदर्शन

आज हम हिंदी के भविष्य पर चर्चा करने वाले हैं इसलिए भूत की बातों पर ज्यादा चर्चा करना बेमानी होगी अतः हम अपनी बात की शुरुआत आजादी के बाद से शुरू करते...

हिंदी का प्रांजल भविष्य

आज हम हिंदी के भविष्य पर चर्चा करने वाले हैं इसलिए भूत की बातों पर ज्यादा चर्चा करना बेमानी होगी अतः हम अपनी बात की शुरुआत आजादी के बाद से शुरू करते...

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। . . . फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं, धूसरता सोने...

महादेवी वर्मा

यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, गये आरती वेला को शत-शत लय से भर, जब था कल कंठो का मेला, विहंसे उपल तिमिर था खेला, अब मन्दिर में इष्ट अकेला, इसे...
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