April 28, 2024

रामचन्द्र वर्मा ने हिन्दी साहित्य की महती सेवा की है। इन्होंने अपनी कई महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हिन्दी जगत को दीं। सन १९०७ में बालगंगाधर तिलक के मराठी पत्र ‘केसरी’ के लिए रामचन्द्र वर्मा ने हिन्दी संस्करण में कार्य किया था।

 

परिचय…

८ जनवरी, १८९० को काशी (वर्तमान बनारस) में रामचन्द्र वर्मा जी का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम दीवान परमेश्वरी दास था। विद्यालयी शिक्षा बहुत कम मिलने के बाद भी अपने अध्यवसाय से उन्होंने हिंदी, उर्दू, फारसी, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का बहुत अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उनकी हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था।

 

पत्रकारिता…

रामचन्द्र वर्मा ने अपना जीवन पत्रकारिता से आरम्भ किया। १९०७ ई. में उन्होंने नागपुर के पत्र ‘हिंदी केसरी’ के सम्पादक का पद ग्रहण किया। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र ‘बिहार बंधु’ के संपादक रहे। उसके बाद वे १९१० से १९२९ तक काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। आपने आजीवन लोगों को शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने के लिए प्रेरित किया।

 

लेखन कार्य…

हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित ५ खंडों का ‘मानक हिंदी कोश’ रामचंद्र वर्मा जी के परिश्रम का ही फल है जो हिंदी साहित्य सम्मेलन से प्रकाशित हुआ है। ‘संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर’ के संपादन का और विभिन्न भाषाओं के प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी आपको है। उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के कोष विभाग में कार्य किया और ‘साहित्य रत्नमाला कार्यालय’ का गठन किया। वर्मा जी की प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

१. अच्छी हिन्दी

२. हिन्दी प्रयोग मानक हिन्दी व्याकरण

३. ‘हिंदी कोश रचना’

४. शब्द और अर्थ

५. शब्द साधना शब्दार्थ दर्शन

६. कोषकला

७. प्रामाणिक हिंदी कोश

८. उर्दू हिंदी कोश

‘हिन्दी ज्ञानेश्वरी दासबोध’, ‘हिन्दू राजतन्त्र’, ‘साम्यवाद धर्म की उत्पत्ति और विकास’, ‘पुरानी दुनिया’, ‘छत्रशाल’, ‘प्राचीन मुद्रा’, ‘रायफल’ तथा ‘देवलोक’ आदि इनकी प्रमुख अनुदित कृतियाँ हैं।

 

पुरस्कार…

इनकी अनूठी हिंदी सेवा के कारण भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मश्री’ की सम्मानित उपाधि से अलंकृत किया था।

 

मृत्यु…

वर्ष १०६९ में रामचन्द्र वर्मा जी का निधन हुआ।

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