एक एहसास

साप्ताहिक प्रतियोगिता : १.७
दिनाँक : १०/१२/१९
विषय : अमर प्रेम

हर शाम वो लड़की अपनी छत पर खड़ी रहती मानो मेरा और बस “मेरा” इंतज़ार करती रहती थी,, मैं भी जानता था कि वो वहीं खड़ी होगी.. ये वाकया तो हर रोज़ का था,, कभी कभी जब वो वहां न दिखती तो मैं भी धीरे धीरे से उसकी गली में टहलता हुआ चोर निगाहों से उसे खोजा करता और जब तक वो न दिख जाती, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी,, और कभी कोई देख न ले जैसा कुछ चोर सा एहसास मन में आता था..
कभी जब नज़रें मिलती ऐसा जान पड़ता जैसे चोरी पकड़ी गई हो, झट से नजर बदल जाती। मगर उतनी ही देर में हम दोनों एक दूसरे से नज़रो ही नज़रों में बात कर लिया करते थे, आँखों से बातें करते करते ही हमने सदियां जी ली थी पर एक दूसरे से बोलने की हिम्मत किसी में न थी..
मैं जब भी उसे देखता बस देखता ही रहता और जैसे ही वो मेरी तरफ चेहरा करती, मैं झट से दूसरी तरफ देखने लगता और यही हाल शायद उधर का भी होता होगा..
कभी मैं अपने आप से ही शर्त लगा बैठता कि वो मेरे मन के दस्तक को सुन आ जाएगी और जब इत्तेफ़ाकन वो आ जाती तो मैं सोचता सच में यही तो प्यार है।
हर शाम कोचिंग जाने को तैयार मैं वक़्त से कुछ पहले ही उसकी गली में चला जाता और दोस्तों की राह देखता रहता, उनके आते ही चल पड़ता। वह भी वक़्त की पाबंद थी, उसे मालूम था कि मैं शाम के इस वक़्त पर ही निकलूंगा। बालों में पानी लगाये, कंघी करके, हीरो बनके मैं निकलता था… हर रोज मैं आता वो मिलती।
एक रोज वो हमारे कोचिंग में आईं…मैं अवाक रह गया। क्या यह एक संजोग है ? या ? ? ? जो भी हो बस वो हमारे बैच में ही आ जाए ! ईश्वर सहायक था मन की मुराद पूरी हो गई।
मुझे वो हर रोज बस स्टेंड के पास इंतजार करते मिलने लगी… पूरे रास्ते ना वो मुझे देखती और ना मैं उसे, कारण दोस्तों के साथ मैं भी होता और वो भी सखियों के साथ होती। जाना पहचाना, अन्जाना रूप हम दोनों को बड़ा रास आ रहा था, कोचिंग के अंदर जाते वक़्त वो पलट कर देखती और हलकी सी मुस्कुरा देती…मेरे लिए मानो वो “मुस्कान” शाम को वापस आने और दोबारा दिखने तक मेरे सांसों को थामे रहा करती….
दशहरे का दिन था सुबह से ही पूरे शहर में रौनक थी। रोज़ की तरह उस शाम भी वो छत पे खड़ी थी… नीचे हम भी आड़े तिरछे हो कर खड़े थे। गाने फुल वॉल्यूम ने धका-धक् बज़ रहे थे। मोनू सोनू बंटी गुड्डू राजू समेत मोहल्ले के सारे कुच्ची पुच्ची गेदाहरों का एक नए अंदाज में नाचना चालू था…आज अच्छा मौका था मेरे पास, मैं भी अपनी काबिलियत दिखाने नाच मंडली में कूद पड़ा और फिर डांस के सारे स्टेप(जितने भी मुझे आते थे) सब डाल दिए…
जब हम बिल्कुल थक गए तो पूजा पंडाल में थकान उतारने बैठ गए तभी देवी दर्शन के बहाने देवी वहां पहुंची थी..
पहली बार उसे इतनी करीब से देखा था.. उसने मुझसे प्रसाद की मांग कर दी… जाने कैसे हममे वो हिम्मत आ गई, एक मिठाई की जगह पर पूरे के पूरे मिठाई के पैकेट को उठा उसे ही दे दिया…
उस दिन के पहने उस कुर्ते को,, जिस पर उसकी नजर पड़ी थी और इशारों में ही जिसे उसने अच्छा कहा था,, बहुत सम्हाल के रखा है आज भी…
आज भी,, शायद उसके प्रति मेरा सम्मान…उसका प्रेम…या जो कुछ भी था बहुत पवित्र था देवी सा पवित्र..तब उसे खिलखिला कर हँसते हुए देखा, उम्र के इस पल में जो ख़ुशी मिली थी शायद कहीं दिल के किसी कोने में टीस बन कर उठ जाया करती है आज भी बीस बरस के बाद भी…
आज शाम को फिर हम उसी जगह पर थे, उसके छत के सामने…शायद दोनों ही एक दूसरे के प्रेम में थे, बस इज़हार बाकी था..
वह कसाव अथवा मधुर याद अब इस जीवन की एक बीती हुई साँझ ही तो है। दोनों सब की नजरें बचाकर एक दूसरे को देखते और आँखों ही आँखों में हवाई किले बनाते रहे थे,
एक-दूसरे की परेशानी में दोनों एक दूसरों के सवालों के जवाब चुप्पियों में ही ढूँढ़ते रहे थे, शायद कहीं पे अक्ल काम आये या शायद कहीं पर उसका बचपना.. की शायद वो ढूंढ़ ले कोई जीने का तरीका की शायद मुझे भी नयी राह मिल जाये…वो हँसती रहती थी की दुःख सीमाओं में रहे.. ये शुरु से उसकी आदत रही थी, जब परेशानी ज्यादा ही बड़ी हो वो उसकी खिल्ली उड़ा दिया करती थी…
वो सबसे खूबसूरत थी,,
ये प्रेम अब भी उतना ही पवित्र है, धड़कने सच में थम सी गयी थी उस वक़्त,,,, धड़कने सच में थम सी रहीं हैं इस वक्त..
एक निशब्द वादा माँगा था उसने एक दूसरे को ता उम्र प्रेम करने का.. दोनों उस पर कायम हैं, उसके साथ वो पहली और अंतिम मुलाकात थी, जब वो गई थी दशहरे की शाम को… छोड़ गई थी रोते बिलखते अपने माँ बाप को…
मैं आज भी खड़ा हूँ वहीं पर मिठाई के डब्बे को लिए हुए, जाने कितनों की जिंदगी बन गई थी वो दशहरे की शाम को…

और वो पहला और आखिरी अमर प्रेम…

अश्विनी राय ‘अरूण’

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in
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