April 26, 2024

प्रसिद्ध महाकाव्‍य महाभारत से ऐसा कौन है जो वाकिफ ना हो। यह महाकाव्‍य मुख्‍यतः एक ही परिवार के दो उत्तराधिकारियों के मध्‍य सिंहासन के लिए हुए युद्ध पर केंद्रित है। महाभारत काल में दो स्‍थान प्रमुख थे, हस्‍तिनापुर और इन्‍द्रप्रस्‍थ। इन्‍द्रप्रस्‍थ को अब दिल्‍ली के नाम से जाना जाता है तथा हस्तिनापुर मेरठ के पास स्थित है। १९५० से १९५२ के मध्य पुरातत्त्वविद् ब्रज बासी लाल के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने हस्‍तीनापुर का उत्‍तखनन का कार्य किया था। वे भारत के प्रख्यात पुरातत्त्वविद् हैं।

ब्रजबासी लाल जी का जन्म २ मई, १९२१ में झान्सी में हुआ था। उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक पुरातात्विक स्थलों का अन्वेषण एवं उत्खनन का कार्य किए हैं। भारत सरकार ने उनके कार्यों के लिए सन २००० में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया था।

१९६८ से १९७२ तक वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक के पद पर आसीन रहे और इन्‍होंनें शिमला के भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है। कालान्तर में श्री लाल ने विभिन्न यूनेस्को समितियों में भी अपनी सेवा प्रदान की हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया। श्री लाल ने कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर सहित महाभारत के अन्य भागों पर भी पुरातत्व का कार्य किया है। उन्होंने सिन्धु-गंगा के विभाजन और ऊपरी यमुना गंगा दोआब में कई चित्रित ग्रे वेयर भागो की भी खोज की।

हस्तिनापुर की खुदाई में सामने आयी खोजों का वास्‍तव में महाभारत काल के साथ कोई संबंध है, यह तथ्‍य अभी भी विवादास्‍पद बना हुआ है। इन्‍हीं खोजों में सामने आया ‘विदुर-का-टीला’ यह कई टीलों का संग्रह है जिनमें से कुछ ५० से ६० फीट ऊंचे हैं तथा कुछ फर्लांगों (एक मील का आठवां भाग) तक विस्‍तृत हैं। इन टीलों का नाम विदुर के नाम पर रखा गया है। विदुर का टीला मेरठ से ३७ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है। यह कौरवों की राजधानी और महाभारत के पांडवों के प्राचीन शहर हस्तिनापुर के अवशेषों से बना था, जो कालांतर में गंगा की बाढ़ से बह गया था।

हस्तिनापुर के आसपास की पुरातात्विक खुदाई में, लगभग १३५ लोहे की सामान मिले थे जिसमें तीर और भाले, शाफ्ट, चिमटे, हुक, कुल्हाड़ी तथा चाकू शामिल थे, जो कि एक प्रबल लोहे के उद्योग की ओर संकेत करते है। ईंटों से बने मार्ग, जलनिकासी प्रणाली और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के संकेत भी मिले हैं। आगे की खुदाई में द्रौपदी-की-रसोई और द्रौपदी घाट सामने आये, जिसमें तांबे के बर्तन, लोहे की मुहरें, सोने और चांदी से बने आभूषण, टेराकोटा डिस्क और कई आयताकार आकार के हाथीदांत के पासे के उपयोग वाला चौपर का खेल मिला जो लगभग ३००० ईपू के हैं। ब्रज बासी लाल द्वारा खोजे गये विदुर के टीले का संबंध वास्तव में विदुर का टीला है अथवा नहीं यह अभी विवाद में है।

श्री लाल के शोध ग्रन्थ…

The Earliest Civilization of South Asia.

India 1947-1997: New Light on the Indus Civilisation.

Frontiers of the Indus Civilization.

The Homeland of the Aryans. Evidence of Rigvedic Flora and Fauna & Archaeology, New Delhi, Aryan Books International.

The Saraswati Flows on: the Continuity of Indian Culture. New Delhi: Aryan Books International.

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