April 26, 2024

आधुनिक राजनीतिज्ञों के प्रति आमजन के मध्य ऐसी धारणा बन गई है कि उनके बारे में कुछ भी लिखना पढ़ना बेमानी सी प्रतीत होती है, मगर हम आज एक ऐसे राजनीतिज्ञ के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जिन्होंने राजनीति में आने से पूर्व ही अपनी विचारधारा, अपने मानवीय मूल्यों से आमजन के मन में स्थान बना लिया था। आइए आज हम एक ऐसे ही व्यक्तित्व से आपको परिचित कराते हैं, वैसे तो आज हर कोई उनसे परिचित है मगर जानता कोई नहीं है।

पूर्व जानकारी…

वर्ष २००५ में पटेल समुदाय द्वारा ‘पाटीदार शिरोमणि’ अलंकरण सम्मान।

वर्ष २००० में श्री तपोधन ब्रह्म विकास मंडल द्वारा ‘विद्या गौरव’ पुरस्कार।

वर्ष १९९९ में पटेल जागृति मंडल, मुम्बई द्वारा ‘सरदार पटेल’ पुरस्कार।

उन्होंने वर्ष १९९४ में बिजिंग में चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन में भारत का नेतृत्व किया था।

उन्हें वर्ष १९८९ में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

उन्हें वर्ष १९८८ में गुजरात के सबसे बेहतर शिक्षक के लिए राज्यपाल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

वर्ष १९८७ में उन्होंने दो छात्राओं को नर्मदा नदी में डूबने से बचाया था, इसके लिए उन्हें गुजरात सरकार द्वारा ‘वीरता पुरस्कार’ प्रदान किया गया था।

चारुमति योद्धा पुरस्कार, अहमदाबाद।

अंबुभाई व्यायाम विद्यालय पुरस्कार राजपिपला।

महिलाओं के उत्थान अभियान के लिए धरती विकास मंडल द्वारा विशेष सम्मान।

महेसाणा जिला स्कूल द्वारा खेल आयोजन में पहली रैंकिंग के लिए ‘वीरबाला’ पुरस्कार, आदि।

परिचय…

उत्तरप्रदेश की तात्कालिक राज्यपाल, आनंदीबेन पटेल का जन्म मेहसाणा जिले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में, २१ नवम्बर, १९४१ को एक पाटीदार परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम आनंदीबेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिताजी जेठाभाई पटेल एक गांधीवादी नेता थे। उन्हें कई बार लोगों ने गाँव से निकाल दिया था क्योंकि वह ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव को मिटाने की बात करते थे। आनंदी के ऊपर अपने पिता का भरपूर प्रभाव पड़ा। इसीलिए कहते हैं कि उनके आदर्श भी उनके पिता हीं हैं। उस समय जब कोई लड़कियों को स्कूल नहीं भेजता था, उनके पिताजी ने उनकी माताजी को हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। ठीक उन्हीं की तरह आनंदीबेन ने भी किसी से भेदभाव नहीं रखती थीं। साथ ही वे घूसखोरों और चापलूस को अपने करीब नहीं आने देतीं।

उनकी शुरुआती पढ़ाई कन्या विद्यालय में चतुर्थ कक्षा तक हुई। तत्पश्चात उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए लड़कों के स्कूल में भर्ती कराया गया, जहां ७०० लड़कों के मध्य, मात्र वे अकेले लड़की थीं। इसके बाद आठवीं कक्षा के लिए उनका दाखिला विसनगर के नूतन सर्व विद्यालय में कराया गया। इसी दौरान उन्हें एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए “बीर वाला” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष १९६० में उन्होंने विसनगर के भीलवाई कॉलेज में प्रवेश लिया, जहां विद्यालय के दिनों की भांति पूरे महाविद्यालय के प्रथम वर्ष विज्ञान में वे एकमात्र लड़की थीं। जहां से उन्होंने विज्ञान स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक करने के बाद उन्होने पहली नौकरी के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए संचालित महिला विकास गृह में शामिल हो गईं, जहां उन्होने ५० से अधिक विधवाओं के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की। वर्ष १९६५ में वे अपने पति मफ़तलाल पटेल के साथ अहमदाबाद आ गईं, जहां उन्होने विज्ञान विषय के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा क्षेत्र में अभिरुचि के कारण उन्होने यही से एमएड की भी पढ़ाई पूरी की और वर्ष १९७० में प्राथमिक शिक्षक के रूप में अहमदाबाद के मोहनीबा कन्या विद्यालय में अध्यापन कार्य में संलग्न हो गईं। कालांतर में वे इस विद्यालय की पूर्व प्रधानाचार्या भी रह चुकी हैं।

एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे खुद झील में कूद गई थीं, जिसके लिए वर्ष १९८७ में “वीरता पुरस्कार” से भी नवाजा जा चुका है।

राजनीतिक…

वर्ष १९८८ में आनंदीबेन भाजपा में शामिल हुईं। एक बार उन्होंने अकाल पंडितों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया, यही वह समय था जब वे चर्चा में आई। दूसरी बार उनकी चर्चा वर्ष १९९५ में तब हुई जब शंकर सिंह वाघेला ने बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में वे नरेंद्र मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया। यही वह समय था जब समय मोदी के साथ उनकी नज़दीकियाँ बढ़ी। वर्ष १९९८ में कैबिनेट में आने के बाद से उन्होने शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा सँभाला। बतौर शहरी विकास और राजस्व मंत्री उन्होंने ई-जमीन कार्यक्रम, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके जमीन के सौदों में होने वाली धांधली की आशंका को कम कर दिया। उनकी इस योजना से गुजरात के ५२ प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण सफल हुआ।गुजरात राज्य की कई और नीतियां, जिनके लिए श्री मोदी ने वाहवाही लूटी है, उसके पीछे आनंदीबेन ही हैं। फिर चाहे वह ई-ज़मीन कार्यक्रम हो, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके जमीन के सौदों में होने वाली धांधली को रोकने की बात हो, या फिर गुजरात के ५२ प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण कर देने की बात हो। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद वे गुजरात की नई मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थीं। नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है, जहां वे २२ मई, २०१४ से ७ अगस्त, २०१६ तक रहीं। इस तरह से वे गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। १ अगस्त, २०१६ को आनंदीबेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

राजनीतिक पद…

१. वर्ष १९८७ में राजनीति से जुड़ी, इस दौरान भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा अध्‍यक्ष, प्रदेश इकाई की भाजपा उपाध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी सदस्‍य जैसे महत्‍वपूर्ण पद पर रहीं।
२. वर्ष १९९२ में भाजपा द्वारा आयोजित कन्‍याकुमारी से श्रीनगर तक की एकता यात्रा में शामिल होने वाली गुजरात की एक मात्र महिला रहीं। कश्‍मीर में तिरंगा नही लहरा देने की आतंकवादियों की धमकी के बावजूद २६ जनवरी, १९९२ में श्रीनगर के लालचौक में राष्‍ट्रध्‍वज फहराने में शामिल थीं।
३. १९९४ से १९९८ तक राज्य सभा सदस्य।
४. वर्ष १९९८ मांडल विधानसभा क्षेत्र जिला अहमदाबाद से चुनकर विधायक बनी।
५. वर्ष १९९८ से २००२ तक शिक्षा (प्रारंभिक, माध्यमिक, वयस्क) एवं महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रही।
६. पाटन विधानसभा क्षेत्र से वर्ष २००२ में वे दूसरी बार विधायक बनी। और फिर ऐसी मान्‍यता को गलत साबित किया कि गुजरात के शिक्षा मंत्री लगातार चुनाव नहीं जीत पाते।
७. वर्ष २००२ से २००७ तक शिक्षा (प्रारंभिक, माध्यमिक, वयस्क), उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, खेल, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधि मंत्री के पद पर रहीं।
वर्ष २००७ में पाटन विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक बनी।
८. वर्ष २००७ से २०१२ तक राजस्व, आपदा प्रबंधन, सड़क एवं भवन, राजधानी परियोजना, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रही।
९. वर्ष २०१२ में अहमदाबाद शहर के घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार लगातार विधायक बनी तथा राज्‍य में सबसे अधिक वोटों से जीती।
१०. वर्ष २०१२ से २०१४ तक राजस्व, सूखा राहत, भूमि सुधार, पुनर्वास, पुनर्निर्माण, सड़क एवं भवन, राजधानी परियोजना, शहरी विकास और शहरी आवास मंत्री रही।
११. २२ मई, २०१४ से ७ अगस्त, २०१६ तक गुजरात राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रही।
१२. १५ अगस्त, २०१८ से २८ जुलाई, २०१९ तक छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रहीं।
१३. २३ जनवरी, २०१८ से २८ जुलाई, २०१९ तक मध्य प्रदेश की राज्यपाल रहीं।
१४. २९ जुलाई, २०१९ से अभी तक वे उत्तरप्रदेश राज्य की राज्यपाल हैं।

विशेष…

दि इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा वर्ष-२०१४ के शीर्ष १०० प्रभावशाली भारतीयों में उन्हें सूचीबद्ध किया गया। गुजरात की राजनीति में “लौह महिला” के रूप में जानी जाने वालीं आनंदीबेन शाकाहारी हैं। उन्हें पक्षियों से बहुत लगाव है साथ ही उन्हें बागवानी में अपना समय बिताना बहुत अच्छा लगता है। वे मितव्ययी जीवन शैली वाली जिंदगी जीती हैं लेकिन जबरदस्त प्रशासनिक दक्षता के लिए जानी जाती हैं। वे एक ऐसी निडर नेता हैं जिसे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने में कभी पीछे नहीं पाया गया। वे देखने में जितनी सख़्त हैं नजर आती हैं, उतनी ही अंदर से सरल हैं। सरकारी अधिकारियों से मिलने और कार्यों के निष्पादन के उद्देश्य से गुजरात राज्य भर में बड़े पैमाने पर यात्रा करती रही हैं। उनके दो बच्चे हैं संजय पटेल (बेटा) और अनार पटेल (बेटी)।

About Author

Leave a Reply