पेशवा बालाजी विश्वनाथ भट

बालाजी विश्वनाथ यानी पेशवा बालाजी विश्वनाथ भट का जन्म महाराष्ट्र के श्रीवर्धन में १६६२ को एक निर्धन ब्राह्मण विसाजी (भट) देशमुख के यहां हुआ था। वर्ष १७०८ में शाहू जी के सेनापति धनाजी जादव ने उन्हें ‘कारकून’ (राजस्व का क्लर्क) नियुक्त किया। धनाजी जादव की मृत्योपरान्त उसके पुत्र चन्द्रसेन जादव को शाहूजी ने सेनापति बना दिया और चन्द्रसेन जादव ने सेनापति बनते ही बालाजी विश्वनाथ को वर्ष १७१२ में ‘सेनाकर्त्ते’ (सैन्यभार का संगठनकर्ता) की उपाधि दी। परन्तु चन्द्रसेन जादव का महारानी ताराबाई की ओर झुकाव देखकर, शाहूजी ने उसे सेनापति के पद से हटा दिया और साथ ही उन्होंने नए सेनापति के तौर पर बालाजी विश्वनाथ को न्युक्त कर दिया। इस तरह देखा जाए तो बालाजी विश्वनाथ को असैनिक शासक तथा सैनिक संगठनकर्ता, दोनों ही रूपों में अपनी योग्यता प्रदर्शित करने का सामान अवसर प्राप्त हुआ।

पेशवा का पद…

सेनापति का पद छिन जाने से चन्द्रसेन बेहद क्रोधित था, उसने इसे अपना सबसे बड़ा अपमान समझा। इसीलिए कालान्तर में चन्द्रसेन एवं सीमा रक्षक कान्होजी आंग्रे के सहयोग से ताराबाई ने छत्रपति शाहू एवं उसके पेशवा बहिरोजी पिंगले को कैद कर लिया। परन्तु बालाजी की सफल कूटनीति रंग लायी। कान्होजी बगैर युद्ध के ही शाहू की तरफ आ गया तथा चन्द्रसेन युद्ध में पराजित हुआ। इस तरह शाहू को अपने को पुनःस्थापित करने का एक अवसर और प्राप्त हुआ। वर्ष १७१३ ई. में बालाजी की बहादुरी, बेहतरीन कार्यकुशलता और कूटनीतिक विचारधारा को ध्यान में रखते हुए शाहूजी ने उन्हें अपना पेशवा नियुक्त कर दिया। वे मराठा साम्राज्य के छठे तथा वंशगत रूप में पहले पेशवा बने।

मुग़लों से संधि…

वर्ष १७१९ को शाहू महाराज के नेतृत्व में पेशवा बालाजी विश्वनाथ ने सैय्यद बंधुओं की पहल पर मुग़ल सम्राट से एक संधि की जिसकी शर्ते निम्नलिखित थी…

१. शाहू को शिवाजी के वे प्रदेश लौटा दिये जायेंगे, जिन्हें वह ‘स्वराज’ कहते थे।
२. हैदराबाद, गोंडवाना, ख़ानदेश, बरार एवं कर्नाटक के वे प्रदेश भी शाहू को वापस कर दिये जायेंगे, जिन्हें मराठों ने हाल ही में जीता था।
३. दक्कन के प्रदेश में मराठों को ‘चौथ’ एवं ‘सरदेशमुखी’ वसूल करने का अधिकार होगा, जिसके बदले मराठे तकरीबन १५,००० जवानों की एक सैनिक टुकड़ी सम्राट की सेवा हेतु रखेंगे।
४. शाहू मुग़ल सम्राट को प्रतिवर्ष लगभग दस लाख रुपये का कर खिराज देंगे।
५. मुग़ल कैद से शाहू की माँ एवं भाई समेत सभी सगे-सम्बन्धियों को आज़ाद कर दिया जायेगा।

संधि के फलस्वरूप मराठों को मुग़ल राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप का अवसर मिल गया, जैसा कि बालाजी विश्वनाथ के १५,००० सैनिकों सहित दिल्ली में प्रवेश से स्पष्ट है। इन सैनिकों की सहायता से सैय्यद बन्धुओं ने सम्राट फ़र्रुख़सियर को सिंहासन से उतारकर रफ़ीउद्दाराजात को सम्राट बनाया, जिन्होंने इस सन्धि को स्वीकार कर लिया।

और अंत में…

शून्य से लेकर पेशवा के महत्त्वपूर्ण पद का सफर तय करने वाले बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु २ अप्रेल, १७२० को सास्वड में हो गई, परंतु अपनी मृत्यु से पूर्व उन्होंने शाहू की स्थिति को दृढ़ कर चुके थे, तथा मुग़ल बादशाह से शाहू के लिए छत्रपति पद की स्वीकृत भी प्राप्त कर चुके थे।

बालाजी विश्वनाथ द्वारा की गई सेवाओं से मराठा साम्राज्य अपने गौरवपूर्ण अतीत को एक बार पुनः प्राप्त कर चुका था। इसीलिए उनके द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण सेवाओं का फल शाहू महाराज ने उन्हें उनके जीवनकाल में ही दे दिया था, इतना ही नहीं शाहू महाराज ने पेशवा का पद अब बालाजी विश्वनाथ के परिवार के लिए वंशगत कर दिया। इसीलिए बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद उनके पुत्र बाजीराव प्रथम को पेशवा का पद प्रदान कर दिया गया, जो एक वीर, साहसी और एक समझदार राजनीतिज्ञ था।

श्रीमन्त पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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