November 23, 2024

UBI contest ९८
हिन्दी
श्रेणी कविता
ब्लैकबोर्ड

ब्लैक बोर्ड की तरह
है हमारी जिन्दगी।
कभी साफ सुथरी,
तो कभी पुती सी गंदी।

कभी उस पर लिखा
मन को भा जाता है,
कभी वो हमारी
कमियां दिखता है।

सवाल देख कोई
खुद का मुंह छिपाता है,
कोई जाहिर करने को
नाम सरेआम लिखाता है।

कभी रफ किए जाते हैं
कभी चित्र उकेरे जाते हैं,
कभी सजायहफ्ता से
इसपर नाम लिखे जाते हैं।

जो लिखा चाक से इस पर
उसकी जिंदगी कुछ पल है,
और उतर गए नोट बुक पर
उसकी जिंदगी जीवन भर है।

ब्लैक बोर्ड स्कूलों में
मंदिर की मूर्ति के समान है,
जहां दिखता कुछ भी नहीं
मगर दिखाता जहां सारा है।

विद्यावाचस्पति अश्विनी राय ‘अरुण’ 

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