October 12, 2024

कोरोना क्या है और यह कैसे फैलता है, यह बात हम सभी जानते हैं। अगर किसी बात की शंका शुबहा हो तो इसके लिए कोरोना पर आधारित हमारे लेख के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं…

https://shoot2pen.in/2020/03/13/coronavirus/

अब आते हैं लौक डाउन पर…

कोरोना वायरस के बिहार में दो मामले अब तक सामने आए हैं। जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जबकि एक व्यक्ति का एनएमसीएच में इलाज चल रहा है। व्यक्ति की मौत ने पूरे बिहार को सकते में ला दिया है। वहीं नीतीश सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आनन-फानन में हाई लेवल मीटिंग बुलाई। जहां बिहार में लॉकडाउन घोषित करने पर विचार किया गया।

क्या होता है लॉक डाउन ?

लॉक डाउन का मतलब होता है तालाबंदी। जिस तरह किसी संस्थान को बंद किया जाता है, उसी तरह शहर लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए कोई बाहर ना निकले। देश में जिस तरह से लगातार संक्रमित व्यक्ति‍यों की तादाद बढ़ रही है, उसे देखते हुए कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएं। वैसे तो लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जो किसी आपदा के वक्त शहर में सरकारी तौर पर लागू होती है। लॉक डाउन की स्थ‍िति में उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा या अनाज जैसी जरूरी चीजों के लिए बाहर आने की इजाजत मिलती है। लेनदेन के लिए आप बैंक से पैसा निकालने के लिए भी जा सकते हैं।लॉक डाउन किसी सोसायटी या शहर में रहने वाले वहां के स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य या अन्य जोख‍िम से बचाव के लिए इसे लागू किया जाता है। इन दिनों कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है।

ये बातें भी ध्यान रखें
१. किसी भी व्यक्ति को अपने घर से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं होगी।
२. जिले के समस्त शासकीय, अर्धशासकीय कार्यालय, बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान बंद रहेंगे।
३. मेडिकल और हॉस्पिटल को छोड़कर समस्त व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहते हैं। केवल वही संस्थान खुले रहेंगे जो जीवन के लिए आवश्यक हैं।

लॉक डाउन एक ऐसा आपातकालीन प्रोटोकॉल है जिसके तहत शहर या प्रदेश में रहने वाले लोगों को क्षेत्र छोड़कर जाने या घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह से रोक लगाता है। देश में चल रही आपातकालीन स्थिति कोरोनावायरस की वजह से भारत के कई शहरों में लॉक डाउन की स्थिति देखने को मिल रही है। देश में कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सबसे पहला लॉक डाउन महाराष्ट्र में किया गया है।

लॉक डाउन का असर सार्वजनिक परिवहन पर भी दिखने वाला है क्योंकि सार्वजनिक परिवहन को भी पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा ताकि लोग अपने घर से निकल कर इधर-उधर जाने की कोशिश ना करें। लॉक डाऊन के चलते सरकारी कार्यालयों में केवल कर्मचारियों की २५% उपस्थिति रहेगी ताकि आपातकालीन स्थिति में वे अपने कार्यों को अंजाम दे सके।सरकार का कहना है की यह एक ऐसा वैश्विक युद्ध है जहां पर यदि लोग अपना जीवन चाहते हैं तो अपने घरों में रहे ताकि वह सुरक्षित रह सकें। लॉक डाउन की स्थिति में घबराने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को आधारभूत सुविधाएं समय-समय पर प्रदान की जाएगी उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आएगी।

कोरोना में एक से तीन तक की स्टेज होती है, एक उदाहरण से तीनों स्टेज (लौक डाउन बनाम कोरोना) को समझते हैं…

पहली स्टेज

मान लीजिए विदेश से कोई व्यक्ति आया। एयरपोर्ट पर उसको बुखार नहीं था। घर जाने से पहले उससे एयरपोर्ट पर एक शपथ पत्र भरवाया गया कि वह १४ दिन तक अपने घर में कैद रहेगा और बुखार आदि आने पर इस नम्बर पर सम्पर्क करेगा। घर आकर उसने शपथ पत्र की सभी शर्तों को अक्षरशः पालन किया। शर्त के अनुसार वह घर में कैद रहता तथा घर के सदस्यों से भी उसने दूरी बनाए रखी। छठवें सातवें दिन उस व्यक्ति को बुखार सर्दी खांसी जैसे लक्षण आने लगे। उसने हेल्पलाइन पर फोन लगाया। कोरोना टेस्ट किया गया। वह पॉजिटिव निकला। घर वालों का भी टेस्ट किया गया। वह सभी नेगेटिव निकले। पड़ोस के एक किमी की परिधि में सबसे पूछताछ की गई, टेस्ट किया गया सभी के लक्षण निगेटिव निकले।
कोरोना के लक्षण उस व्यक्ति में बहुत मामूली थे। बस बुखार सर्दी खांसी बदन दर्द आदि हुआ। सात दिन के ईलाज के बाद वह बिल्कुल ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाकर घर आ गया। यह पहली स्टेज जहां सिर्फ विदेश से आये आदमी में कोरोना है। उसने किसी दूसरे को यह नहीं दिया।

दूसरी स्टेज में एक दूसरे व्यक्ति में कोरोना पॉजिटिव निकला। उससे उसकी पिछले दिनों की सारी जानकारी पूछी गई। उस जानकारी से पता चला कि वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। विदेश से घूमकर आये व्यक्ति जिद्दी था। उसको भी एयरपोर्ट पर बुखार नहीं था। इसी कारण घर जाने दिया गया। उससे भी शपथ पत्र भरवा लिया गया। विदेश से आये व्यक्ति ने एयरपोर्ट पर भरे गए उस शपथ पत्र की धज्जियां उड़ाईं। घर में वह सबसे मिला। अगले दिन अपने काम पर निकल गया। उसको भी बुखार आया। उसके घर वालों को भी बुखार आया, सबकी जांच हुई। जांच में सब पॉजिटिव निकले। यानि विदेश से आया आदमी खुद पॉजिटिव। फिर उसने घर वालों को भी पॉजिटिव कर दिया। इसके अलावा कार्यस्थल के लोगों के सम्पर्क में आया। जब तक सभी लोगों का चेकअप होगा और अगर उनमें किसी में पॉजिटिव आया तो भी यह सेकंड स्टेज है। इसमें डर यह है कि इनमें से हर आदमी न जाने कहाँ कहाँ गया होगा।

यानी कि जिस आदमी में कोरोना पोजिटिव आया है, वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है।

तीसरा स्टेज

एक व्यक्ति को सर्दी खांसी बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती किया, वहां उसका कोरोना पॉजिटिव आया। मगर न तो कभी विदेश गया था और न ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आया है जो हाल ही में विदेश होकर आया है। यानि हमें अब वह स्रोत नहीं पता कि इस व्यक्ति में कोरोना आखिर आया कहाँ से ?

स्टेज १ में आदमी खुद विदेश से आया था। स्टेज २ में स्रोत का पता था। उसके सम्पर्क में आये हर आदमी का टेस्ट किया गया और उनको १४ दिन के लिए अलग थलग कर दिया गया। मगर स्टेज ३ में स्रोत का पता ही नहीं है।जब स्रोत नहीं पता तो स्रोत को पकड़ नहीं सकते। उसको अलग थलग नहीं कर सकते। वह स्रोत न जाने कहाँ होगा और अनजाने में ही कितने सारे लोगों को इन्फेक्ट कर देगा।

स्टेज 3 बनेगी कैसे ?  स्टेज २ के सम्पर्क में जो लोग आये। उसके पॉजिटिव होने की खबर मिलते ही सब अस्पताल की ओर दौड़े। मगर जो नहीं पहुंचे पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम उनको ढूंढ रही है। उनमें से अगर कोई किसी भीड़ भाड़ आदि में घुस गया तब तो यह वायरस खूब फैलेगा। यही स्टेज ३ है जहां आपको स्रोत का नहीं पता।

स्टेज 3 का उपाय… १४ दिन का लॉक डाउन
कर्फ्यू लगा दो। १४ दिन एकदम तालाबंदी कर दो। किसी को बाहर न निकलने दो। अब हर आदमी घर में बंद है। जो आदमी किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आया है वह तो सुरक्षित है। जो अज्ञात स्रोत है, वह भी अपने घर में बंद है। जब वह बीमार पड़ेगा, तो वह अस्पताल में पहुंचेगा और पता चल जाएगा कि अज्ञात स्रोत यही है। हो सकता है कि इस अज्ञात श्रोत ने अपने घर के लोगों को संक्रमित कर दिया हो मगर बाकी का पूरा शहर बच गया। अगर लॉक डाउन नहीं होता तो वह स्रोत पकड़ में नहीं आता और वह ऐसे हजारों लोगों में कोरोना फैला देता। फिर यह हजार अज्ञात लोग लाखों में इसको फैला देते। इसीलिए लॉक डाउन से पूरा शहर बच गया और अज्ञात स्रोत पकड़ में आ गया।

स्टेज ३ आने से पहले ही तालाबन्दी कर दो। यह लॉक डाउन १४ दिन से कम का होगा। अब तालाबंदी है तो पुलिस वाले अनजाने में ही अन्य लोगों के साथ शहर से आए स्रोत की तरफ भी भागेंगे, यह देख स्रोत घर में जा छुपेगा और बाहर नहीं निकलेगा। जिससे संक्रमण नहीं फैलेगा। अब चूंकि सबकुछ बन्द है तो स्रोत के संपर्क में आने से सभी बच गए। बस स्रोत के परिवार को कोरोना हुआ। ६वें ७वें दिन तक कोरोना के लक्षण आ जाते हैं। विदेश से लौटे लोगों में लक्षण आ जाये तो उनको अस्पताल पहुंचा दिया जायेगा और नहीं आये तो इसका मतलब वो कोरोना नेगेटिव है।

सोर्स…अखबार, समाचार आदि !

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