December 4, 2024

RRR’ के एक सीन में घुटने से चोटिल राम को भीमा कंधे पर लेकर जब भागता है और जब दोनों इस स्थिति में एक दूसरे की मदद करते हैं तो वर्ष १९६४ में आई एक फिल्म ‘दोस्ती’ की याद दिलाती है, जो एक अपाहिज लड़के और एक अन्धे लड़के के बीच दोस्ती को दर्शाती है। इतना ही नहीं यह सीन भगवान राम और महाबली हनुमान जी की भी याद दिलाता है। इस फिल्म का क्लाइमेक्स राम और रावण के युद्ध के समान जान पड़ता है। तथा उसके बाद लंका दहन और फिर रावण वध। बड़ी समानता है इस फिल्म और रामायण में। हनुमान के प्रतीक के रूप में भीमा के द्वारा राम और सीता का एक बार पुनः मिलन मन को भाता है। मगर हरण की कहानी इस बार सीता से नहीं बल्कि भीमा की आठ दस वर्ष एक छोटी बहन से शुरू होती है।

डायरेक्शन…

राजामौली ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पब्लिक का दिल कैसे जीतना है। ५५० करोड़ के मेगा बजट में बनी इस फिल्म के कई सीन्स पर हर कोई तालियां बजाने पर मजबूर हो जाएगा। खासकर रामचरण और जूनियर एनटीआर की रौंगटे खड़े कर देने वाली एंट्री पर। राम का पूरी भीड़ से लड़ने में आप लॉजिक नहीं ढूंढ पाएंगे। अंग्रेजों की हवेली में भीमा का जंगली जानवरों के साथ धावा बोलना, राम और भीमा की आग व पानी के साथ प्रतीकात्मक लड़ाई जैसे सीन्स को हर कोई एक बार पुनः देखने पर मजबूर हो जाएगा।

सिनेमैटोग्राफी…

राजामौली सर अपनी जबरदस्त सिनेमैटोग्राफी के लिए ऐसे ही नहीं जाने जाते हैं। उनकी यह पूरी फिल्म हर किसी को एक साथ एक अलग दुनिया में ले जाती है। मगर इसमें राजामौली सर के अलावा एक और शख्स है सिनेमैटोग्राफर केके सेंथिल कुमार, जिनकी कसी सिनेमैटोग्राफी और लार्जर दैन लाइफ वाले सीन्स का जबरदस्त कॉम्बिनेशन फिल्म की जान है।

एक्टिंग…

रामचरण और एनटीआर ने एक-दूसरे को जबरदस्त टक्कर दी है। पावरपैक्ड एक्शन और फुलटू इमोशन के साथ दोनों साउथ सुपरस्टार की जुगलबंदी हर किसी को पसंद आएगी। इतना ही नहीं कम समय के लिए ही सही, मगर अजय देवगन अपनी छाप छोड़ते हैं। ब्रिटिश रूलर के रूप में स्कॉट रे स्टीवेंशन और उनकी पत्नी लेडी स्कॉट बनीं एलिशन डूडी ने अपनी निगेटिव किरदार को इतनी बखूबी से जिया है कि आप उनसे नफरत करने लगते हैं। मगर आलिया भट्ट इस फिल्म के क्यूं है, यह समझ से परे है, क्योंकि उनके लिए फिल्म में कुछ करने जैसा नहीं है। अगर उनके अलावा कोई और भी होता तो खास फर्क नहीं पड़ता। अजय देवगन की पत्नी सरोजनी के रूप में श्रेया शरण, छत्रपति शेखर और लाजवाब मकरंद देशपांडे ने अपने-अपने किरदारों संग पूरा न्याय किया है।

कुछ खास बात…

फिल्म फर्स्ट हाफ में दर्शकों को बांधने में कामयाब रही है, इसका सारा श्रेय ए श्रीकर प्रसाद की कसी हुई एडिटिंग को जाता है। जिसकी वजह से इंटरवल में भी बाहर जाने का मन नहीं होता। मगर ना जाने क्यों सेकेंड हाफ शुरू शुरू में थोड़ा सा बिखरा हुआ प्रतीत होता है। मगर फिर से एक धमाका होता है, रामचरण का राम के अवतार में आते हैं और उस अवतार को वे उसी तरह अंत तक पकड़े रखते हैं। और फिर शुरु होता है, लंका दहन।

फिल्म को संगीत दिया है, एमएम किरवानी ने, जो बाहुबली के भी म्यूजिक डायरेक्टर रह चुके हैं। फिल्म के बेहतरीन विजुअल इफेक्ट्स पर वी श्रीनिवास मोहन की क्रिएटिविटी साफ झलकती है। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भव्यता के स्तर को और ऊपर लेकर जाता है। ओवरऑल फिल्म एंटरटेनिंग है और साथ ही यह भी बताती है कि इस तरह की फिल्म बनाने के लिए बिदेशियों की कोई जरूरत नहीं है। इसके लिए आप को एक बार थिएटर पर जाकर ही इस फिल्म के भव्यता और स्पेशल इफेक्ट्स का मजा लेना होगा।

एसएस राजामौली ने अपनी कल्पना से कहानी को भव्यतम रूप में प्रस्तुत किया है और उन्होंने अपनी प्रस्तुतिकरण में हर उम्र और हर वर्ग के दर्शक का ध्यान रखा है। अगर कहानी की बात करें तो, के. विजयेन्द्र प्रसाद ने बहुत ही ठोस कहानी लिखा है, जो देशी है और इमोशन उसमें बहता रहा है। इन दोनों ने पहले भी ब्लॉकबस्टर फिल्म का निर्माण किया है, जो पहले देखा भी जा चुका है और बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित भी हुआ है। इस बार राजामौली और विजयेन्द्र प्रसाद की सुपरहिट जोड़ी ‘आरआरआर: राइज़ रोर रिवोल्ट’ लेकर आई है जिसका लंबे समय से दर्शक इंतजार कर रहे थे। फिल्म देखने से साफ पता चलता है कि के विजयेन्द्र प्रसाद और राजामौली सर ने कहानी के किरदारों पर खूब मेहनत किया है। कैरेक्टर्स को इस तरह से दिखाया है कि दर्शक उनको चाहने लगते हैं। इस फिल्म में दो मुख्य किरदार हैं, भीमा (एनटीआर जूनियर) और सीताराम राजू (रामचरण)। यह कहानी दो सच्चे क्रांतिकारियों के इर्दगिर्द बुनी गई है।

१. कोमाराम भीम (एनटीआर जूनियर)

२. सीताराम राजू (रामचरण)

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