January 13, 2025

 

अलविदा कह कर
क्या चले जाते हैं लोग?
मैने तो जाना है की थोड़ी ही सही,
पर यहां रह जाते हैं लोग।

जैसे रह जाती है सूरज की गरमी,
जैसे रह जाता है बारिश का पानी।
जैसे रह जाती हैं दूल्हे की बातें,
जैसे रह जाती हैं दुल्हन की याद सुहानी।

जहां उगते थे गन्ने मीठे मीठे,
जहां घुमा करते जवां मस्ताने
कहां भूल गईं वो गालियां सारी,
खंडहर हो गए जोगांव पुराने।

आप कहते हो
अलविदा कह चले जाते हैं लोग
थोड़ा ही सही लेकिन
हमारे यादो में रह जाते हैं लोग

थोड़ी सी हँसी
थोड़ी आँखों की चमक
कुछ कुछ प्यारी बातें
तो कुछ बातों के कसक

जैसे मँदिर की पूजा रह जाती है,
जैसे रह जाती गीता के बोल।
और आप कहते हैं,
अलविदा कह चले जाते हैं लोग।

अश्विनी राय ‘अरुण’

About Author

Leave a Reply