December 4, 2024

आज हम भारत के एक और स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता प्राप्ति उपरांत के एक राजनेता से मिलवाने जा रहे हैं जो काँग्रेस की विचारधारा से अलग कम्युनिस्ट था, जो सही मायनो में राष्ट्रवादी था।

गणेश घोष का जन्म २२ जून, १९०० को चटगांव में हुआ था जो अब बांग्लादेश में है। वर्ष १९२२ में उन्होंने कलकत्ता के तकनीकी संस्थान में प्रवेश लिया तथा बाद में वे चटगांव जुगांतर पार्टी के सदस्य बन गए। उन्होंने १८ अप्रैल १९३० को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगाँव शस्त्रागार में भाग लेकर हुगली के चंदननगर आ गए। कुछ दिनों के बाद पुलिस आयुक्त चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर में उन के घर पर हमला किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस हमले के दौरान उनके युवा क्रांतिकारी साथी जीवन घोषाल, अलियास, माखन की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उन्हें मार डाला।

मुकदमे के बाद…

वर्ष १९३२ में गणेश घोष को पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल भेज दिया गया। १९४६ में जेल से छूटने के बाद वे कम्युनिस्ट राजनीति में शामिल हो गए और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए। १९६४ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद, गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ चले गए। वे १९५२, १९५७ और १९६२ में वेस्टबंगाल विधान सभा के लिए कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से बेलगछीया के लिए उम्मीदवार चुने गए। वे १९६७ में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। १९७१ के लोकसभा में वे फिर से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कलकत्ता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार थे। इस बार वह २६ वर्षीय प्रिया रंजन दास मुंशी से हार गए जिन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस (आर) के टिकट पर लड़ा था।

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