आज हम एक ऐसे देशभक्त के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनके बारे में कभी एक कहावत प्रसिद्ध थी कि “रामदास जी गुड़वाले के पास इतना सोना चांदी जवाहरात है,...
रानी लक्ष्मीबाई भाग १ से आगे
१८५७ का विद्रोह विस्तार से...
भारत की जनता में विद्रोह की ज्वाला भभक गई। समस्त देश में सुसंगठित और सुदृढ रूप से क्रांति को कार्यान्वित करने की तिथि...
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी...
१८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक राव तुलाराम सिंह जिन्हें हरियाणा में आज भी "राज नायक" माना जाता है। क्रांति काल मे हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके...
अमर पुरोधा, क्रांति के जनक व प्रथम क्रांतिकारी भारतीय वीर सपूत मातादीन वाल्मीकि जी का जन्म २९ नवम्बर, १८२५ को एक अछूत समझी जाने वाली जाति में हुआ था। मातादीन वाल्मीकि वर्ष...
पेशवा बाजीराव द्वितीय जिस समय दक्षिण छोड़कर गंगा तटस्थ बिठूर, कानपुर में रहने लगे थे, तब उनके साथ दक्षिण के पं. माधवनारायण राव और उनकी पत्नी गंगाबाई भी साथ रहने लगे थे।...
१८५७ की क्रांति, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीयों द्वारा किया गया प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम था, जिसे अंग्रेजी सरकार एवं उसके चाटुकार इतिहासकारों ने सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह का नाम दे...