April 26, 2024

अंतस के आरेख
विषय : सहयोग
दिनाँक : २१/०१/२०२०

किसी के मदद की,
जरूरत हमें तब थी।
रोती बिलखती बेजान,
जिंदगी जब थी।

जिंदगी के दोराहे पर,
ऐसे लोग मिल जाते हैं।
उस वक़्त काम आते हैं,
निसहाय से नजर आते हैं।

मदद से जिनके जिंदगी सुधरी,
हमें सदा वो याद आते हैं।
ऐसे लोग ही तो हमेशा,
हमारे मन में घर कर जाते हैं।

बड़ी बेजान होती जिंदगी,
गर वो हौसला ना बढ़ाते।
मुफलिस सी रहती जिंदगी,
जब वो हमें काबिल ना बनाते।

आज मैं बदल सकता हूँ,
आसमां के रंग को।
आज मैं बदल सकता हूँ,
इस जहाँ के स्वरूप को।

आज मैं बदल सकता हूँ,
नदियों की दिशाओं को।
आज मैं बदल सकता हूँ,
मौसम और फिजाओं को।

आज मैं वो सब कर जाऊंगा,
अकेले हर बोझ उठा ले जाऊंगा।
तब यह सब मैं ना कर पाता,
ईश्वर बन मदद को वो ना आता।

अश्विनी राय ‘अरूण

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