गुरू अर्जुन देव

ब्रह्मज्ञानी, शहीदों के सरताज, शान्तिपुंज एवं सिखों के ५वे गुरु, गुरू अर्जुन देव जी का जन्म १५ अप्रैल १५६३ को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। अर्जुन देव जी, चौथे गुरु रामदास जी के सुपुत्र थे, उनकी माताजी का नाम बीवी भानी जी था।

ग्रंथ साहिब के संपादन के समय कुछ लोगों ने अकबर के पास शिकायत की कि ग्रंथ में इस्लाम के खिलाफ कुछ लिखा गया है, लेकिन जब बाद में अकबर को वाणी की महानता का पता चला, तो उन्होंने भाई गुरदास को बाबा बुढ्ढा के माध्यम से ५१ मोहरें भेंट कर खेद ज्ञापित किया। ग्रंथ साहिब का संपादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से किया है। ग्रंथ साहिब की संपादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता साफ झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रंथ साहिब में ३६ महान वाणीकारों की वाणियां बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई हैं। गुरु अर्जुन देव जी द्वारा रचित वाणी ने भी संतप्त मानवता को शांति का संदेश दिया। सुखमनी साहिब उनकी अमर-वाणी है, जिसका पाठ कर लोगों को शांति प्राप्त होती है। सुखमनी साहिब में चौबीस अष्टपदी हैं। सुखमनी साहिब राग गाउडी में रची सूत्रात्मक शैली की रचना है। इसमें साधना, नाम-सुमिरन तथा उसके प्रभावों, सेवा और त्याग, मानसिक दुख-सुख एवं मुक्ति की उन अवस्थाओं का उल्लेख किया गया है, जिनकी प्राप्ति कर मानव अपार सुखों की प्राप्ति कर सकता है।

सुखमनीसुख अमृत प्रभु नामु।
भगत जनां के मन बिसरामु॥

गुरु अर्जुन देव जी की वाणी की मूल- संवेदना प्रेमाभक्ति से जुडी है। गुरमति-विचारधारा के प्रचार-प्रसार में गुरु जी की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। गुरुजी ने पंजाबी भाषा साहित्य एवं संस्कृति को जो अनुपम कृति प्रदान की है उसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। इस अवदान का पहला प्रमाण ग्रंथ साहिब का संपादन है। इस तरह जहां एक ओर लगभग ६०० वर्षो की सांस्कृतिक गरिमा को पुन: सृजित किया गया, वहीं दूसरी ओर नवीन जीवन-मूल्यों की जो स्थापना हुई, उसी के कारण पंजाब में नवीन-युग का सूत्रपात भी हुआ।

गुरु जी शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी थे। वे अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे, जो दिन-रात संगत सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी धर्मो के प्रति अथाह स्नेह था। मानव-कल्याण के लिए उन्होंने आजीवन शुभ कार्य किए। परंतु जब अकबर के देहावसान के बाद कट्टर-पंथी जहांगीर दिल्ली का शासक बना। उसे अपने धर्म के अलावा, और कोई भी धर्म पसंद नहीं था। उसे गुरु जी के धार्मिक और सामाजिक कार्य कभी भी पसंद नहीं थे। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि खुसरो को शरण देने के कारण जहांगीर गुरु जी से नाराज था। अतः १५ मई, १६०६ को उसने गुरुजी को परिवार सहित पकड़ने का हुक्म जारी कर दिया। जहांगीरी के कहने पर उनके परिवार को मुरतजा खान के हवाले कर घर लूट लिया गया। तत्पश्चात गुरुजी शहीदी को प्राप्त हुए। कष्टों को झेलते हुए भी गुरुजी शांत बने रहे, उनका मन एक बार भी घबराया नहीं। शीतल स्वभाव के सामने तपता तवा भी शीतल बन गया। तपती रेत भी शीतल हो गई। गुरुजी ने प्रत्येक कष्ट में हंसते रहे और यही अरदास की…

तेरा कीआ मीठा लागे॥
हरि नामु पदारथ नानक मांगे॥

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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