गोपाल गणेश आगरकर का नाम भारत के प्रसिद्ध समाज सेवकों में लिया जाता है। एक पत्रकार के रूप में भी उन्होंने प्रसिद्धि पाई थी। वे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के सहपाठी रहे थे। उन्होंने ‘सुधारक’ नामक एक साप्ताहिक भी निकाला था। गोपाल गणेश आगरकर जी वर्ष १८९२ में फ़र्ग्युसन कॉलेज, पुणे के प्रधानाध्यापक बनाये गए थे और फिर इस पद पर वे अंत तक रहे।
जन्म तथा शिक्षा…
लोकमान्य बालगंगाधर के सहपाठी और सहयोगी गोपाल गणेश आगरकर जी का जन्म १४ जुलाई, १९५६ को महाराष्ट्र में सतारा ज़िले के ‘तेम्मू’ नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने पुणे के ‘दक्कन कॉलेज’ में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने देश और समाज सेवा का व्रत ले लिया था।
प्रकाशन कार्य…
आगरकर जी, लोकमान्य तिलक और उनके सहयोगी यह मानते थे कि शिक्षा-प्रसार से ही राष्ट्र का पुनर्निर्माण संभव है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये जनवरी, १८८० में ‘न्यू इंग्लिश स्कूल’ की स्थापना की गई। परंतु अपने विचारों के प्रचार के लिये गोपाल गणेश आगरकर जी के पास इतना पर्याप्त नहीं था। २ जनवरी, १८८१ से उन्होंने अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘मराठा’ का और ४ जनवरी से मराठी साप्ताहिक ‘केसरी’ का प्रकाशन आरंभ किया।
कॉलेज की स्थापना…
वर्ष १८९४ में ‘दक्कन एजुकेशनल सोसाईटी’ की स्थापना हुई और दूसरे वर्ष ‘फ़र्ग्युसन कॉलेज’ अस्तित्व में आया। गोपाल गणेश आगरकर तथा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक आदि इस कॉलेज के प्रोफेसर थे।
लोकमान्य तिलक से मतभेद…
साप्ताहिक पत्र ‘केसरी’ के सम्पादन में भी गोपाल गणेश आगरकर, लोकमान्य तिलक के निकट सहयोगी थे, परंतु ‘बाल विवाह’ और विवाह की उम्र बढ़ाने के प्रश्न पर आगरकर जी का तिलक से मतभेद हो गया। इस मतभेद के कारण वर्ष १८८७ में वे साप्ताहिक पत्र ‘केसरी’ से अलग हो गये। अब उन्होंने स्वयं का ‘सुधारक’ नामक नया साप्ताहिक निकालना आरंभ किया। वर्ष १८९० में लोकमान्य तिलक ने ‘दक्कन एजुकेशनल सोसाइटी’ छोड़ दी।
समाज सुधार कार्य…
गोपाल गणेश आगरकर जी को वर्ष १८९२ में फ़र्ग्युसन कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त किया गया, वे जीवन पर्यंत इसी पद पर रहे। आगरकर जी बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। उन्होंने छुआछूत और जाति प्रथा का खुलकर विरोध किया। वे ‘विधवा विवाह’ के पक्षपाती थे। उनका कहना था कि लड़कों की विवाह की उम्र २०–२२ वर्ष और लड़कियों की १५-१६ वर्ष होनी चाहिए। १४ वर्ष तक की अनिवार्य शिक्षा और सह शिक्षा का भी उन्होंने समर्थन किया।
सांप्रदायिक एकता के समर्थक…
राष्ट्र की उन्नति के लिये सांप्रदायिक एकता को आवश्यक मानने वाले आगरकर जी ने विदेशी सरकार की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का प्रबल विरोध किया। आर्थिक उन्नति के लिये वे देश का औद्योगीकरण आवश्यक मानते थे।
अंत में…
समाज सुधार के कार्यों में विशेष योगदान देने वाले गोपाल गणेश आगरकर जी का निधन १७ जून, १८९५ को ४३ वर्ष की अल्प आयु में ही हो गया।