December 30, 2024

कितने झंझावात आते,

सबको उसने झेला था।

जितने बाधा, कंटक आते,

सबसे उसने खेला था।।

 

आत्मविश्वासी, कर्मनिष्ठ वह,

राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत।

हिम्मत आसमां से भी ऊंची,

चमक उठी ज्ञान-प्रभोत।।

 

कद काठी में छोटे दिखते,

मगर जन जन के थे प्यारे।

लाल बहादुर नाम दुलारा,

भारत माता के थे रखवारे।।

 

‘जय जवान’ ‘जय किसान’

उनका अजब का नारा था।

उनका दृढ़ निश्चय ही था जो,

पाकिस्तान हिन्द से हारा था।।

 

ना जाते गर वो ताशकंद तो,

ना देश अथाह अनाथ होता।

सीमाएं उनकी मिट जाती,

बस तिरंगे का ही राज होता।।

 

विद्यावाचस्पति अश्विनी राय ‘अरुण’

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1 thought on “हिन्द का लाल

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