December 3, 2024

Exif_JPEG_420

साप्ताहिक प्रतियोगिता : १.२
विषय : पहली नजर में प्यार

एक बरसात की रात को वो मिली थी
कुछ सहमी हुई तो कुछ शरमाई थी
साथ ही वो पूरी तरह से गीली थी

अंधेरे में चाँद निकला था
मगर तारों ने साथ ना दिया था
उस सर्द मौसम में हवा भी खूब चली थी
जिस बरसात की रात को वो मिली थी

मासूम चेहरे पर जुल्फ आ पड़े थे
होंठ कुछ खुले तो आँख मनचले थे
निगाह कुछ बदले की
कदम अलग ही चल पड़े थे

कदमों की गलती से कीचड़ छलक पड़े थे
‘उफ़’ की आवाज ने मेरे कानों में रस घोले थे

हमारी निगाह क्या पड़ी उनपर
भीगे चेहरे पर आ पड़ी लाली थी
जिस बरसात की रात को जब वो मिली थी

खुली किताब की इबादत लगी थी
मुझसे जब वो मिली थी
लाल होठों की मुस्कुराहट फूलों सी लगी थी

एक नजर मुझे देख मुस्कुराई
और एक ओर चल पड़ी थी
जिस बरसात की रात को जब वो मिली थी

अश्विनी राय ‘अरूण’

About Author

Leave a Reply