January 13, 2025

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दिनाँक – १५/१०/१९

कुछ पल जिन्दगी के
मैने जिंदगी से चुरा लिए

पलों को पलों से जोड़कर
अपने बुनियाद बना लिए

पिरोया है पलों को धागे से
संग उसके मैं भी पिरो गया

झूल गई जिंदगी मेरे गले पर
अपने पलों का हिसाब लेने

वो हर पल, पल-पल
अपने पल को लेने लगी

या यूँ कहूँ चुराने लगी
पल-पल मेरे पल से

गुजरते वक्त से कम होने लगे
एक एक पल मेरे जीवन से

जिंदगी के कुछ पल उमंग भी देंगे
यहाँ महफिलें भी सजेंगी

यहाँ मीत भी मिलेगें गीत भी बनेगी
साज सुर छेड़ेंगे कुछ गज़लें भी होंगी

हाथों मे खुशी के जाम लिए
कुछ कवितायेँ भी लिखी जाएंगी

कुछ पल नजरों के मिलने के होंगे
चाहत और रुसवाई की बातें भी होंगी

कुछ किरदारों पर किस्से भी बनेंगे
उनमें कुछ अपने कुछ बेगाने होंगे

उन किरदारों से
मिलने बिछुड़ने की बातें भी होंगी

ऐ जिंदगी इक एहसान कर देना
मेरे कुछ पल आज छोड़ देना

उनसे दिलों के तार छू लूँ
फिर तू चाहे सारे ले लेना

थाल में सजाकर तू काल को
मेरे हर पल के हिसाब दे देना

अश्विनी राय ‘अरूण’

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