February 13, 2025

विषय – धैर्य
दिनाँक – ०८/१०/१९
विधा – काव्य

बूंद से बूंद जुड़कर
नदी बहती रहती है
कण से कण जुड़कर
पर्वत की गति होती है

वक़्त चलता है
चलता ही रहेगा
दिन, महीने, साल
जुड़कर सदियां बनती हैं

धैर्य ही ईश्वर का परिचय
धैर्य ने यह कर दिखाया है
धैर्य करता जीव का पालन
धैर्य ही जीवन की माया है

धैर्य है अटल विश्वास
धैर्य निरन्तर अभ्यास
धैर्य ईश्वर की भक्ति
धैर्य जीवन की शक्ति

धैर्य का अर्थ नहीं हार जाना
धैर्य है पुनः खड़े हो जाना
धैर्य है तपस्या विद्वान की
धैर्य ही उम्मीद इन्सान की

अश्विनी राय ‘अरूण’

About Author

Leave a Reply