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आज दैनिक जागरण को उत्तर भारत में रहने वाला ऐसा कौन होगा जो सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र को नहीं पहचानता होगा? पिछले कई वर्षों से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि दैनिक जागरण विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक समाचार पत्र है। यह हम नहीं, विश्व समाचार पत्र संघ यानी वैन कहता है। इतना ही नहीं, वर्ष २००८ में एक बार बीबीसी और रॉयटर्स के सर्वे से यह पता चला था कि भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण ही है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि आज मैं दैनिक जागरण का विषय लेकर क्यूं बैठ गया? तो जरा सा इंतजार कीजिए हम स्वयं ही बताने जा रहे हैं कि आज हम दैनिक जागरण के संस्थापक श्री पूरन चंद्र गुप्ता जी के बारे में चर्चा करने वाले हैं…

परिचय…

पूरन चंद्र गुप्ता जी का जन्म २ जनवरी, १९१२ को बनारस के कालपी में हुआ था। उनकी शिक्षा कालपी और वाराणसी में हुई थी।

कार्य…

वर्ष १९४० में उन्होंने कानपुर में एक राष्ट्रवादी साप्ताहिक समाचार पत्र स्वतंत्र का शुभारंभ किया। परंतु समाचार पत्र को ब्रिटिश प्रशासन द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया अतः उन्हें झाँसी की ओर रुख करना पड़ा, जहां उन्होंने वर्ष १९४२ में जागरण नामक एक पत्र की शुरुआत की, जिसका वर्ष १९४७ में नाम बदलकर दैनिक जागरण कर दिया गया। जैसा कि मैंने ऊपर ही कहा है, दैनिक जागरण आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। वर्ष १९७५ में गुप्ता जी को प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया का अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा वे १५ वर्षों तक द इंडियन न्यूज पेपर सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य रहे साथ ही कालांतर में वे इसके उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

विरासत…

१६ सितंबर, १९८६ को ७४ वर्ष की आयु में श्री गुप्ता जी का देहांत हो गया। उनकी याद में वर्ष १९८७ में, कानपुर में श्री पूरन चंद्र गुप्त स्मारक ट्रस्ट की स्थापना की गई। यह ट्रस्ट शैक्षिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और परोपकारी गतिविधियों में आज भी लगा हुआ है।

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